विविधसंस्मरण

एकसमय फ़िल्मों से संन्यास ले चुके ‘अमिताभ बच्चन’ को मेरे पत्र ने उबारे थे !

भारतीय फिल्मों के महानायक श्रीमान् अमिताभ बच्चन अपने व्यक्तित्वों और कृतित्वों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं.

डेब्यू फिल्म में सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता और बुढ़ापे में भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता सहित 5वीं बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्राप्त करने हो !

बीबीसी से शताब्दी के महानायक घोषित किये जाने हो ! पद्म विभूषण अवार्ड प्राप्त करने हो ! दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाजे जाने हो ! अब तो सिर्फ ‘भारत रत्न’ से अलंकृत होने बाकी हैं !

उनकी प्रतिभा का कायल कौन नहीं हैं ? मैं (सदानंद पॉल) भी रहा ! नब्बे के दशक के अभी कुछ वर्ष बीते ही थे कि अमिताभ बच्चन अभिनीत एक-एक फ़िल्म फ्लॉप होते जा रहे थे, कहानी और किरदार चुनने में परहेज़ नहीं बरतना एक कारण था.

कवि हरिवंशराय बच्चन के पुत्र होने का फायदा ही एक आसरा था, अन्यथा मित्र स्व. राजीव गांधी और उनके परिवारजनों से मित्रता अब बीती बात थी. हिंदी फिल्में मिलनी उन्हें कम हो गयी थी, वैसे लगभग फ़िल्मी पत्रिकाओं ने उनके संन्यास की बातें छापने लगी थी और अवसाद में आकर वे ऐसा सोचने भी लगे थे!

आर्थिक- स्थिति भी कुछ ठीक-ठाक ना रहा था. इस समय मित्रों के सम्बल और एक मसीहा की उन्हें सर्वाधिक आवश्यकता थी! कई प्रशंसकों ने उन्हें पत्र लिखे होंगे, यह दीगर बात है!

परंतु तब 19 वर्षीय मैं (सदानंद पॉल) ने उनकी फ़िल्मी-यात्रा की , भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनके सनक की, असली मर्द होने की, शहंशाह होने की, किंतु इन सबसे ऊपर भारतीयता का भाव जगाते हुए यानी वे अभिनय के लिए ही बने हैं…. अमित जी को मैंने एक समीक्षात्मक-पत्र नवम्बर 1994 में रज़िष्ट्री डाक से भेजा.

दिनांक- 25 दिसम्बर 1994 को लिखित महानायक अमिताभ बच्चन के हस्ताक्षरित पत्र-वार्त्ता व जवाबी-पत्र मुझे प्राप्त हुआ और उसके बाद वे यंग एंग्रीमैन से महानायक बन गए और आज वास्तविक महानायक हैं. पत्र यह है, पढ़िए-

” प्रियवर सदानंद पॉल, आपका पत्र तथा आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद ! आप जैसे प्रशंसक , शुभचिंतक और दोस्त मुझसे पत्र द्वारा संपर्क में रहते हैं, इसकी मुझे प्रसन्नता है. फिलहाल मैंने कोई नई फ़िल्म अनुबंधित करने से पहले कुछ दिन विश्राम करने का निर्णय लिया है. शायद अब यह समय आ गया है कि मैं किसतरह के किरदार अदा करूँ , इसपर ध्यान दूं और यही वजह है कि मेरी निकट भविष्य में कोई फ़िल्म रिलीज़ नहीं हो रही है. परंतु भविष्य में मैं फिल्मों में जरूर काम करूंगा और इसकी जानकारी आपको फ़िल्म- पत्रिकाओं द्वारा मिल जाएगी. आपके लगातार हौसले और प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद !
शुभकामनाओं सहित.
सस्नेह- अमिताभ बच्चन.”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.