कहानी

कहानी- महामारी और रिश्ते 

हमारी पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी स्टेट बैंक में मैनेजर थे। सेवा निवृत्त हुए लगभग दस साल हो चुके थे। इस समय उनकी उम्र सत्तर के करीब थी। आस पास के सभी लोग उन्हें बाबूजी कहकर पुकारते थे। वर्मा जी बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे। बच्चे, बड़े व हमउम्र सभी के साथ उनका व्यवहार बहुत अच्छा था। बाबूजी को अपने अनुशासन युक्त उत्तम कार्य के लिए सरकार की ओर से एवार्ड भी मिल चुका था। उनके परिवार में उनकी धर्मपत्नी कृष्णा तथा चार बच्चे थे। दोनों बेटियां अपना सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही थी। दोनों बेटे सुमित और अमित अपनी पत्नियों के साथ बाबूजी के साथ ही रहते थे। दोनों बेटे उच्च पदों पर आसीन थे। उनकी बहुएं जोली और शालिनी भी बहुत अच्छे स्वभाव की थीं। एक रेलवे में और दूसरी बैंक में नौकरी करती थी। पत्नी कृष्ण बहुत पतिव्रता स्त्री थीं। बाबूजी का बहुत ध्यान रखती थीं। दो पोते थे एक तीन साल का और एक आठ साल का। भरा-पूरा संयुक्त परिवार था। सभी लोग मिलजुल कर प्यार से रहते थे। सबके बीच में बहुत अच्छा तालमेल था। दोनों बेटे बाबूजी का बहुत सम्मान करते थे। उनको समय देते थे और उनका हर तरह से ध्यान रखते थे।
बाबूजी के पास एक कुत्ता भी था। जिसका नाम जैकी था। जैकी हमेशा बाबूजी के साथ ही रहता था। उन्हीं के कमरे में सोता तथा उन्हीं के हाथ से खाना खाता था। बाबूजी भी उसे बहुत प्यार करते थे। जब बाबूजी शाम को टहलने जाते तो जैकी भी रक्षक की भांति उनके साथ साथ चलता था।
एक दिन जब बाबूजी शाम को घूमने निकले। तब अचानक उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी। खांसी भी बराबर हो रही थी। बाबूजी वहीं रास्ते में बैठ गए। जैकी बहुत परेशान हो रहा था। वह वहां पर घूम रहे सभी लोगों से भौंक-भौंक कर गुहार कर रहा था। सबने बाबूजी को रास्ते में गिरा देखा पर किसी ने भी आगे बढ़ कर उनकी सहायता नहीं की। वहां घूमने वाले सभी लोग बाबूजी के परिचित थे क्योंकि वह घर के बिल्कुल आमने सामने ही टहल रहे थे। कोरोना महामारी के चलते दूर जाने का तो प्रश्न ही नहीं था। वहां से बाबूजी का घर सौ कदम पर होगा। पर ना तो किसी उनकी सहायता की और ना किसी ने उनके घर जाकर सूचना दी। जैकी जब परेशान हो गया तो दौड़ कर घर आया और उनकी पत्नी कृष्णा की साड़ी पकड़कर ले गया। कृष्णा बाबूजी को गिरा देख कर परेशान हो गई। वह उन्हें उठाकर सहारा देकर घर ले आई। बेटे ने जल्दी से डॉक्टर को फोन किया। चूंकि बाबूजी की सांस फूल रही थी। खांसी भी हो रही थी इसलिए कोई भी बेटा बहू उनके पास नहीं गए। उन्हें विश्वास था कि बाबूजी को महामारी लग चुकी है।उन्होंने माँ को भी बाबूजी के पास से हटा दिया। डॉक्टर को आने में थोड़ी देर हो रही थी। बाबूजी तड़प रहे थे। सिर्फ जैकी उनसे लिपट-लिपट कर उनकी हिम्मत बड़ा रहा था। थोड़ी देर बाद बाबूजी बिल्कुल शांत हो गए। कोई भी उनके पास नहीं गया। सब दूर से देखते रहे। पर जैकी बाबूजी के शांत होते ही रोने लगा। वह समझ गया था कि बाबूजी उसको छोड़कर चले गए हैं। वह उनके पैर चाट रहा था। उन्हें हिला रहा था। जबकि परिवार के दूसरे लोग दूर खड़े होकर सोच रहे थे कि बाबूजी को आराम मिल गया है। डॉक्टर तो आने ही वाला है। तभी डॉक्टर पहुंच गया।
डॉक्टर साहब ने बाबूजी को अच्छी तरह चैक किया और बताया कि सीवियर हार्ट अटैक के कारण बाबूजी की मृत्यु हो चुकी है। इनमें महामारी का कोई लक्षण नहीं है।
पत्नी और बच्चे बाबूजी से लिपट कर जोर-जोर से रो रहे थे। पत्नी कृष्णा इस महामारी को कोस रही थी। जिसके कारण वह अपने पति के अंतिम क्षणों में साथ होकर भी साथ नहीं थीं। दोनों बेटे भी ग्लानि का अनुभव कर सर पटक रहे थे तथा कह रहे थे कि हमसे तो यह जैकी ही ज्यादा समझदार है जो अंतिम क्षण तक बाबूजी को बचाने की कोशिश करता रहा। इस महामारी ने तो रिश्तों की डोर भी कच्ची कर दी है। भगवान इस महामारी से सबकी रक्षा करना।
— निशा नंदिनी भारतीय 

*डॉ. निशा नंदिनी भारतीय

13 सितंबर 1962 को रामपुर उत्तर प्रदेश जन्मी,डॉ.निशा गुप्ता (साहित्यिक नाम डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)वरिष्ठ साहित्यकार हैं। माता-पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता व राधा देवी गुप्ता। पति श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता। बेटा रोचक गुप्ता और जुड़वा बेटियां रुमिता गुप्ता, रुहिता गुप्ता हैं। आपने हिन्दी,सामाजशास्त्र,दर्शन शास्त्र तीन विषयों में स्नाकोत्तर तथा बी.एड के उपरांत संत कबीर पर शोधकार्य किया। आप 38 वर्षों से तिनसुकिया असम में समाज सेवा में कार्यरत हैं। असमिया भाषा के उत्तरोत्तर विकास के साथ-साथ आपने हिन्दी को भी प्रतिष्ठित किया। असमिया संस्कृति और असमिया भाषा से आपका गहरा लगाव है, वैसे तो आप लगभग पांच दर्जन पुस्तकों की प्रणेता हैं...लेकिन असम की संस्कृति पर लिखी दो पुस्तकें उन्हें बहुत प्रिय है। "भारत का गौरव असम" और "असम की गौरवमयी संस्कृति" 15 वर्ष की आयु से लेखन कार्य में लगी हैं। काव्य संग्रह,निबंध संग्रह,कहानी संग्रह, जीवनी संग्रह,बाल साहित्य,यात्रा वृत्तांत,उपन्यास आदि सभी विधाओं में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुक्त-हृदय (बाल काव्य संग्रह) नया आकाश (लघुकथा संग्रह) दो पुस्तकों का संपादन भी किया है। लेखन के साथ-साथ नाटक मंचन, आलेखन कला, चित्रकला तथा हस्तशिल्प आदि में भी आपकी रुचि है। 30 वर्षों तक विभिन्न विद्यालयों व कॉलेज में अध्यापन कार्य किया है। वर्तमान में सलाहकार व काउंसलर है। देश-विदेश की लगभग छह दर्जन से अधिक प्रसिद्ध पत्र- पत्रिकाओं में लेख,कहानियाँ, कविताएं व निबंध आदि प्रकाशित हो चुके हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश, डिब्रूगढ़ असम व दिल्ली आकाशवाणी से परिचर्चा कविता पाठ व वार्तालाप नाटक आदि का प्रसारण हो चुका है। दिल्ली दूरदर्शन से साहित्यिक साक्षात्कार।आप 13 देशों की साहित्यिक यात्रा कर चुकी हैं। संत गाडगे बाबा अमरावती विश्व विद्यालय के(प्रथम वर्ष) में अनिवार्य हिन्दी के लिए स्वीकृत पाठ्य पुस्तक "गुंजन" में "प्रयत्न" नामक कविता संकलित की गई है। "शिशु गीत" पुस्तक का तिनसुकिया, असम के विभिन्न विद्यालयों में पठन-पाठन हो रहा है। बाल उपन्यास-"जादूगरनी हलकारा" का असमिया में अनुवाद हो चुका है। "स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्व विद्यालय नांदेड़" में (बी.कॉम, बी.ए,बी.एस.सी (द्वितीय वर्ष) स्वीकृत पुस्तक "गद्य तरंग" में "वीरांगना कनकलता बरुआ" का जीवनी कृत लेख संकलित किया गया है। अपने 2020 में सबसे अधिक 860 सामाजिक कविताएं लिखने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। जिसके लिए प्रकृति फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। 2021 में पॉलीथिन से गमले बनाकर पौधे लगाने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। 2022 सबसे लम्बी कविता "देखो सूरज खड़ा हुआ" इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। वर्तमान में आप "इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल न्यास" की मार्ग दर्शक, "शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास" की कार्यकर्ता, विवेकानंद केंद्र कन्या कुमारी की कार्यकर्ता, अहिंसा यात्रा की सूत्रधार, हार्ट केयर सोसायटी की सदस्य, नमो मंत्र फाउंडेशन की असम प्रदेश की कनवेनर, रामायण रिसर्च काउंसिल की राष्ट्रीय संयोजक हैं। आपको "मानव संसाधन मंत्रालय" की ओर से "माननीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी जी" द्वारा शिक्षण के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। विक्रमशिला विश्व विद्यालय द्वारा "विद्या वाचस्पति" की उपाधि से सम्मानित किया गया। वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव इंडोनेशिया व मलेशिया में छत्तीसगढ़ द्वारा- साहित्य वैभव सम्मान, थाईलैंड के क्राबी महोत्सव में साहित्य वैभव सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन असम द्वारा रजत जयंती के अवसर पर साहित्यकार सम्मान,भारत सरकार आकाशवाणी सर्वभाषा कवि सम्मेलन में मध्य प्रदेश द्वारा साहित्यकार सम्मान प्राप्त हुआ तथा वल्ड बुक रिकार्ड में दर्ज किया गया। बाल्यकाल से ही आपकी साहित्य में विशेष रुचि रही है...उसी के परिणाम स्वरूप आज देश विदेश के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उन्हें पढ़ा जा सकता है...इसके साथ ही देश विदेश के लगभग पांच दर्जन सम्मानों से सम्मानित हैं। आपके जीवन का उद्देश्य सकारात्मक सोच द्वारा सच्चे हृदय से अपने देश की सेवा करना और कफन के रूप में तिरंगा प्राप्त करना है। वर्तमान पता/ स्थाई पता-------- निशा नंदिनी भारतीय आर.के.विला बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी, गली- ज्ञानपीठ स्कूल तिनसुकिया, असम 786192 [email protected]