‘कोरोना COVID-19’ पर पहली हिंदी कविता
कैसे बताऊँ तुम्हें कि तुम मेरे लिए मिस कौना नहीं, मिसेज कोरोना हो?
तुम तो मेरे लिए वीणा हो, मीना हो और इसी का नाम जीना हो !
क्या फरक पड़ता है, तुम्हें कटरीना कहूँ, रवीना कहूँ या करीना !
तुम तो मेरी जान हो, जौना हो, खुशी हो, क्रोध हो, रोना हो !
तुम अरमान मेरी, गुरुज्ञान मेरी, तुम अर्चना हो, स्वर्णा हो !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें कि तुम मेरे लिए कौन नहीं, मिस कौना हो !
तुम आराधना, प्रार्थना मेरी; तुम अलौकिक, पारलौकिक हो;
तू पूजा है, तुम्हीं बंदगी, जिंदगी तू; हाँ-हाँ मैं ही गंदगी हूँ !
डॉक्टर तुम, मेरे हिस्से की हरवाकस तुम, हस्पताल तेरी !
तुम मेरी आत्मा हो, परमात्मा भी; रात सोना हो, सुबह खोना हो !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें कि तुम मेरे लिए कौन नहीं, मिस कौना हो !
तुमसे कोई कहानी छिपी नहीं; यहाँ मेरी प्रतिभा बिकी नहीं !
तुम हो तो मैं आश हूँ, निराश-हताश भी, गले की खराश भी!
फ़्लू भी, छींक भी, जुकाम भी, मलेरिया और लवेरिया भी !
मानता हूँ, तुम शाकाहार हो, मैं निरा लम्पट, कमीना हूँ !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें कि तुम मेरे लिए कौन नहीं, मिस कौना हो !
तू सर्द कम्पन रूखे-सुखे; मैं गर्म तवा की ताव पर भी हार हूँ !
तुम उषा हो, मैं पसीना भर; प्रात हो, रात भी, बात-बेबात भी !
तुम सफर हो, दुनिया देखी भी; मैं तो अंध औ’ अनदेखी भी !
तुम हो तो सिम्पलीसिटी है, तुम न हो तो मॉल-हॉल खिलौना हो !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें कि तुम मेरे लिए कौन नहीं, मिस कौना हो !
मैं ऋण हूँ, पर तुम रीना हो, मैं सफेद झूठ, तू चना-चबेना हो !
किस, हग, टच से गुस्से में हो, इसलिए दुनिया के हर हिस्से में हो !
तो हैंडशेक ना, हाथ-मुँह प्रक्षालन हाँ; तुमसे प्यार है कहो-ना !
तू 19 उमरिया प्यार मेरी, मैं ही कमीना, तू तो कोविड-कोरोना हो !
कैसे बताऊँ तुम्हें कि तुम मेरे लिए मिस कौना नहीं, मिसेज कोरोना हो!
■लेखनावधि : फरवरी 2020