गीतिका/ग़ज़ल

जिंदगी

क्या किया तू ने इरादा जिंदगी,
भाग्य में मेरे बदा क्या जिंदगी।

विश्व में आई करोना मौत बन,
लाकडाउन में गुजारा जिंदगी।

साग सब्जी भात रोटी औ दवा,
डूबते को कब बचाता जिंदगी।

साख मुश्किल से बनाता आदमी,
साख पर बट्टा लगाता जिंदगी।

क्या टिकाऊ हो सका संसार में,
हर किसी ने बस सँवारा जिंदगी।

साथ केवल कर्म का लेखा रहा,
छोड़ खाली हाथ जाता जिंदगी।

मौन है केवल अवध ये सोचकर,
क्या बनाया क्या बिगाड़ा जिंदगी।

— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन