मुक्तक
रूबरू आने की मनाही नही, बस हाथ न मिलाईये,
ईश्क प्यार मोहब्बत की बातें, मोबाईल से बताईये
सामने आकर भी बात करनी हो तो मास्क लगाना,
जुबां कर न सके इजहारे ईश्क, नजरों से कराईये
सुनाकर बात अपनी, कुछ गद्दारों की महफिल में,
समझते हो खुदा खुद को, गद्दारों की महफिल में
निकलता शेर जंगल में, भगदड सब जगह मचती,
हाहाकार मच जाता, तब गद्दारों की महफिल में
— अ कीर्ति वर्द्धन