कविता

अनजान     

उनकी आँखों का इंतजार हैं हम,
 फिर भी वो अनजान है।।
 उनके चेहरे की हँसी है हम,
  फिर भी वो अनजान है।।
उनके अधरो की
मुस्कुराहट है हम,
   फिर भी वो अनजान है।।
    उनके सपनो के ख्वाब है हम,
    फिर भी वो अनजान है।।
   उनके गुस्से की तकरार है हम,
   फिर भी वो अनजान है।।
    उनके अहसासो मे बसते है हम,
   फिर भी वो अनजान है।।
   उनके दिल की धड़कन है हम,
    फिर भी वो अनजान है।।
— अमित डोगरा 

अमित डोगरा

पी एच.डी (शोधार्थी), गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर। M-9878266885 Email- [email protected]