मुक्तक/दोहा

कोरोना-शायरी

1.इस लॉकडाउन से सभी परेशान हैं,
कोई किसी को देखने के लिये, कोई किसी को देख-देखकर.

2.जब दुनिया कहती है अब कुछ नहीं हो सकता,
वह सही वक्त है, कुछ कर दिखाने का.

3.याद रहेगा यह दौर भी हमें उम्र भर के लिये,
कितना तरसे थे, घर से निकलने के लिये!

4.ज़िंदगी ने कई सवालात बदल डाले,
वक़्त ने मेरे हालात बदल डाले,
मैं तो आज भी वही हूँ जो में कल था,
बस मेरे लिये कुछ अपनों ने अपने ख्यालात बदल डाले.

5.सड़क पर जानवर, नदियां और हवा साफ,
कोरोना ने पढ़ाया पर्यावरण रक्षा का पाठ.

6.घर की सीमा न लांघें,
कोरोना की धूल न फांकें.

7.घर की सीमा में रहें, सुरक्षित रहें.

8.प्यार आपके चेहरे पर डर के मास्क को हटा देता है,
जिससे आप एक दूसरे के बिना जी नहीं सकते.

9.खुशियों के दीप जलाओ,
कोरोना के अंधकार को हटाओ.

10.आनंद के फूल खिलाओ,
कोरोना को भगाओ.

11. कोरोना की इस जंग में विजेता बनकर उभरें,
सुरक्षित रहें,
घर पर रहें
व कोरोना से जंग में सरकार के हाथ मजबूत करें.

12.चेहरे को मास्क से और हाथों को दस्तानों से सुरक्षित रखिए,
बार-बार अच्छी तरह साबुन हाथ धोकर बिंदास रहिए.

13.साबुन से हाथ धोएं, जीवन से नहीं.

14.खिलाएं आनंद के फूल,
कोराना को फांकनी पड़ेगी धूल.

15.मन का दीपक जलाओ,
खुद भी रोशन रहो औरों को भी प्रकाश पहुंचाओ.

16.आनंद का आधार,
कोरोना का संहार.

17.सामाजिक फासले बढ़ाओ,
कोराना का प्रकोप घटाओ.

18.चेतना का उजियार,
हटाए कोरोना का अंधियार.

19.सुरक्षा के सात वचन निभाओ,
कोरोना को भगाओ.

20.देशहित का संकल्प लिए,
अपनों से दूर मुश्किल वक़्त बिताएं,
सलाम है “कोरोना योद्धाओं ” को,
फ़र्ज़ की खातिर जो अपनी जान गवाएं.

21.बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है,
मौत से आंख मिलाने की वजह क्या है.

22.ये शहरों का सन्नाटा बता रहा है,
इंसानों ने कुदरत को नाराज़ बहुत किया है.

23.एक मुद्दत से आरज़ू थी फुर्सत की,
मिली तो इस शर्त पे कि किसी से न मिलो.

24.परमात्मा दुनिया का सबसे बड़ा डॉक्टर है
और प्रार्थना दुनिया की सबसे बड़ी दवाई.

25.संयम और संकल्प का हो जब मिलन,
संकट में भी बना रह सकता है संतुलन.

26.कोरोना का उपालंभ,
सोच-समझकर कदम उठाओ, छोड़ो दंभ.

27.सही सोच, हटाए मोच.

28.खुद को खुद से कैद करने का सफर,
अजीब इत्तेफाक है,
इसी बहाने लोग अपनों के करीब हो गये,
अमीरों को तो फर्क नहीं पड़ा,
गरीब और गरीब हो गये.

29.शत-शत नमन है देश के वीरों को,
जो देश को ही अपना धर्म बनाएं,
नहीं भूलेंगे कभी इनका योगदान,
आओ एक जुट होकर “कोरोना मुक्त राष्ट्र ” बनाएं.

30.सीधी सी बात है घर से मत निकलो;
नहीं तो दुनिया से निकल लोगे!

31.न डरें, न डराएं, न अफवाह फैलाएं,
कोरोना का मुकाबला कर उसे भगाएं.

कोरोना-शायरी मुख्यतः कामेंट्स में रविंदर सूदन जी की कलम से निःसृत है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “कोरोना-शायरी

  • लीला तिवानी

    ऐसे ही मानोगे तुम!
    लॉकडाउन में निकले थे घर से बाहर पुलिस ने तगड़ी सजा दे दी

    स्कूटी पर तीन नौजवान सवार होते हैं। पुलिस उन्हें रोकती है। सवाल-जवाब होते हैं फिर बिना मास्क वाले इन लड़कों को पकड़कर एम्बुलेंस में डाला जाता है। वे डरते हैं। घबराते हैं। उस जगह बचकर निकलना चाहते हैं। क्योंकि उन्हें यह एहसास करवाया जाता है कि एम्बुलेंस में कोरोना मरीज बैठे हैं

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