विज्ञान

आगामी अभाज्य संख्याएँ यानी Prime Numbers जानने के अद्भुत तरीके !

गणित विषय विज्ञान (Science) है, तो कला (Art) भी है। गणित में सबसे जटिल है, अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers) ! जिसे जानने और आगामी अभाज्य संख्याओं को ज्ञात करने के तरीके को यहाँ जानने का प्रयास की जा रही है, यथा-

* खुद और ‘1’ के अतिरिक्त वैसी संख्या, जो किसी भी संख्या से विभाजित नही हो, अभाज्य संख्या’ कहलाता है । संख्या ‘1’ और ‘2’ भी किसी से विभाजित नहीं है ।

* सभी अभाज्य संख्याओ के वर्ग हमेशा ही उनके वर्गमूल संख्या से विभाजित होता है और सभी अभाज्य संख्या के नजदीक एक ‘पूर्ण-वर्ग’ (square) जरूर रहता है ,किन्तु ‘2’ पूर्ण वर्ग के बीच भी एक अभाज्य संख्या रहता है, जैसे :-

# 16 और 25 पूर्ण वर्ग है , इनके बीच संख्या ’23’ अभाज्य है ।

# 25 और 36 पूर्ण वर्ग के बीच ’31’ अभाज्य है ।

# 169 और 196 पूर्ण वर्ग के बीच संख्या ‘173’ अभाज्य है ।

# 784 और 841 पूर्ण वर्ग के बीच संख्या ‘811’ अभाज्य है ।

* अभाज्य संख्या ‘रूढ़ि संख्या’ (convection number) भी कहलाते है । इनमें ‘परंपरा’ का प्रभाव है और ‘परंपरा’ यथार्थ से परे होता है!

* अभाज्य संख्या पर यूनानी गणितज्ञ ERETOSTHENES (3rd BC) ने ‘छलनी (sieve)’ विधि से ‘1’ को हटाया , फिर ‘2’ में घेरा लगाकर उनके गुणज को काटा गया, फिर ‘3’ को घेरा लगाकर उनके गुणज  को काटा गया , फिर 5,7,11,13,…..इत्यादि से उनके गुणज को काटते और प्रक्रिया में जो नहीं काटा जा सका , वही अभाज्य संख्या है, किन्तु यह प्रक्रिया लंबी है । आगे गणितज्ञ GOLDBATCH ने एक अनुमान दिया की ‘4’ से बडी प्रत्येक सम संख्या को दो विषम अभाज्य संख्या के योग के रूप में लिखा जा सकता है । ऐसी स्थिति में ‘2’ एकमात्र ‘सम संख्या’ है, यहाँ ‘सम संख्या’ को ‘लघुत्तम अभाज्य और वृहत्तम’ अभाज्य के योग के रूप में बाँट सकते है । तभी तो ‘2’ से ऊपर के सम संख्याओं के न्यूनतम ‘दो’ गुणनखंड जरूर होते है।

* (1/3{n-1}/2) में ‘n’ कोई भी संख्या है ,यदि उक्त सूत्र में ‘n’ देकर शेषांक ‘1’ आता है , तो ‘n’ भाज्य है । इकाई(unit) में ‘सम’ 0,5 हो तो संख्या भाज्य होगा।

* उपर्युक्त नियम के साथ अभाज्य संख्या जानने के लिए एक सीरीज तैयार करते है । यहाँ पर
(1^2)+(2^2),(2^2)+(3^2)फिर (2^2)-(1^2),(3^2)-(2^2),(4^2)-(3^2) अभाज्य है , किन्तु (3^2)+(4^2),(5^2)-(4^2) भाज्य तथा (6^2)-(5^2) और (5^2)+(6^2) अभाज है । इस सीरीज को आगे ले चलते है । (2^3)-(1^3),(3^3)-(2^3),(4^3)-(3^3),(5^3)-(4^3) अभाज्य है , जबकि (6^3)-(5^3) भाज्य है। इसप्रकार (2^2)+(3^2),(3^2)-(2^2) और (3^3)-(2^3) में तीनोँ अभाज्य संख्या है , किन्तु (10^2)+(11^2),(11^2)-(10^2),(11^3)-(10^3) में किसी ‘एक’ के अभाज्य संख्या होने की प्रबल संभावना है !

* (2^विषम घात) में ‘विषम घात’ हेतु 1,3,5,7,9,11….. क्रमांक का उपयोग “-1,+3,-1,-1,+5,-7” देकर ‘विषम घात’ हेतु क्रमशः बढ़ते हुए “(2^1)-1=1” पर विचार नहीं करते हैं , ‘+5’ और ‘-7′ से प्राप्त भाज्य आता है । विषम घात ’13’ यानि (2^13)-1 “सारणी” के कारण अभाज्य है ।

*(2^सम घात) में ‘सम घात’ हेतु ‘2’ को छोड़कर 4,6,810…क्रमांक का उपयोग”-3,+7,+1,-5″ देकर “सम घात” हेतु क्रमशः बढ़ते हैं । सम घात ’12’ यानि (2^12)-3 ‘सारणी’ के कारण अभाज्य है ।

* उपर्युक्त उद्धृत बिंदुओं में ‘सारणी’ का जिक्र है । अभाज्य संख्या जानने के लिए ‘2’ पर विषम घात =1,3,5,7,9,11 को छोड़ 13 लिए (2^13)-1 कर बढ़ते हैं और (2^35)-7 तक में ये साफ़ होता है कि  -1,+3,-1,-1,+5,-7 डालकर विषम घात 13,15,17,19,31 के हल ही तब अभाज्य पाते हैं , जिसे सारणी में ‘सेट’ करते हैं ।

सम घात 4,6,8,10 को छोड़कर 12 लिए (2^12)-3 से आगे (2^34)-5 बढ़ते हैं , जिनमें -3,+7,+1,-5 का उपयोग कर पाते हैं कि ‘सम घात’ 12,16,18,20,26,30, से प्राप्त संख्या ‘अभाज्य’ है , जो कि सारणी में ‘सेट’ हो , आगामी अभाज्य संख्या को बताता है। ज्ञात हो , 2 पर ‘सम’ और ‘विषम घात’ के अलग-अलग ‘सारणी’ (सम के लिए 4×4 क्योंकि योग व घटाव के -3,+7,+1,-5 चार ही है और विषम के लिए 6×6 क्योंकि योग व घटाव  -1,+3,-1,-1,+5,-7 छह ही है ….क्रमशः 16 और 36 बॉक्स वर्गाकृति बनेगा) होगा!

मेरा दावा है, कि विहित दोंनो सारणी के अनुसार 27 संख्याएं आती हैं, उनमें 24 prime numbers तो निश्चित ही है !  हैं । परंतु उच्च तकनीक वाले कंप्यूटर के अभाव में आकलन-विषयक संभावना 27 के अभाज्य संख्या वाले series में सभी 27 prime numbers हैं, किन्तु probable स्थिति को लेकर 27 में कोई 3 भाज्य हो सकते हैं! इसप्रकार से series में किसी लेकिन की स्थिति में 24 अभाज्य संख्या जरूर हैं ।*

●●सम-विषम संख्याओं के साथ ‘अकृति-संख्या’ लिए Non FLT
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Non FLT का अर्थ यह है कि वैसी प्रक्रियाएँ, जिनसे FLT की काट हो।

पाइथागोरस प्रमेय:- आधारित “(p^2 +b^2)=h^2 को लेकर पियरे D’FERMAT ने एक कल्पना प्रस्तुत किया था कि उक्त प्रमेय की भांति (p^n + b^n) = h^n में ‘n= कोई भी संख्या’ हो सकता है या नहीं । इसे FERMAT का अंतिम प्रमेय FLT कहा जाता है, किन्तु इसपर ध्यान देने से स्पष्ट होता है कि यह “त्रिभुज आकृति” के सूत्र है
यानि :- (3^2)+(4^2)=5^2,जो की वर्ग (square) के लिए ऐसा ठीक है ,किन्तु घन (cube) या चतुर्घात या पंचघात या कोई घात ऐसे स्थिति में त्रिभुजीय सोच लिए ही संभव हो सकता है , संख्या सोच लिए नहीं। इसलिए ‘Non-FLT’ सोच के साथ ये “आकृति संख्या” होगी , जैसे-
# (6^3)+(8^3)+(10^3)=12^3
# (9^3)+(12^3)+(15^3)=18^3
# (4^4)+(6^4)+(8^4)+(9^4)+(14^4)=15^4
#(8^4)+(12^4)+(16^4)+(18^4)+(28^4)=30^4 …..इत्यादि
आकृत्या है।घन हेतु चतर्भुज और चतुर्घात हेतु षट्भुज आदि के प्रमेय सूत्र ‘आकृति संख्या’ के विहित है ।
इसलिए (x^n)+(y^n)=(z^n) केवल n=2 के रूप में ही संभव है n>2 के रूप में नहीं।

Non FLT अबतक खोजी गई “Fermat’s Last Theorem” की काट के लिए अत्यधिक सटीक और सबसे लघुत्तम प्रक्रिया (Shortest Process) है। ध्यातव्य है, मैंने अल्पायु में गणित विषय व गणितीय-सूत्रों पर पहली डायरी की रचना की, जो ‘सदानंद पॉल की गणित-डायरी’ के नाम से प्रकाशित भी हुई।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.