चाचा से अंकल, फिर फादर और ग्रांड फादर बन गए नेहरू जी !
अपितु, 14 फरवरी (प्रेम दिवस) से 14 नवम्बर (जन्मदिवस) के बीच की अवधि 9 माह यानी माँ की गर्भावधि लिए है । इसी कारणश: जवाहरलाल नेहरू के बच्चों से प्रेम था।
मतभेद अलग जगह है, किन्तु मनभेद रखना बेमानी और नादानी होगी, क्योंकि उसने राष्ट्रस्तर में वैज्ञानिक सोच दिए, तो विश्वस्तर पर तटस्थता व गुटनिरपेक्ष नीति ! तो जहाँ उन्हें ग्रैंड फादर रहना चाहिए, वहाँ भी वे चाचा रहे !
उस बूढ़े गुब्बारे विक्रेता के लिए भी वे चाचा रहे, जिनके गुब्बारे शाम ढलते भी ‘एक’ भी बिका नहीं था, ऐसे में नेहरू जी की नजर उनपर पड़ी और उनके सभी गुब्बारे खरीद लिए, फिर बच्चों में बाँट दिए ! ऐसे थे बूढ़ों के भी चाचा नेहरू !
19 नवम्बर 1917 को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी की जन्म हुई थी, जो कि वर्तमान में उनकी जन्मशताब्दी और जयंती मनाई जा रही है । प्रियदर्शिनी ‘इंदु’ व इंदिरा गांधी जब शांतिनिकेतन में ‘रवीन्द्रनाथ ठाकुर’ के सौजन्यत: पढ़ती थी, तब हिंदी के लिए उनकी कोई कक्षा नहीं थी । उनदिनों शांतिनिकेतन में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी के शिक्षक हुआ करते थे । एकदिन इंदु सहेलियों के साथ नोंक-झोंक करती हुई व दौड़ती हुई द्विवेदीजी की कक्षा में वे प्रवेश कर गयी, तब आचार्यश्री हिंदी पढ़ा रहे थे, सहमी इंदु हिंदी कक्षा में अनुशासनपूर्वक खड़ी की खड़ी रह गयी, जबतक कक्षा समाप्त नहीं हुई, हालांकि इनसे पूर्व और बाद भी वे वहाँ हिंदी कक्षा में सम्मिलित नहीं हुई !
परंतु जब हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का निधन हुआ, तब इंदिरा नेहरू गाँधी भारत की प्रधानमंत्री थी और एक कक्षा – घंटी की इस छात्रा ने अपने गुरु के अंतिम यात्रा में कुछ समय के लिए शरीक होकर व उन्हें सादर नमन कर गुरु के उऋण होने की कुछ प्रयास की । …. यह उद्धरण आज के ‘स्टूडेंट’ के लिए सीख हो सकती है, जो अपने ‘टीचर’ को प्रणाम करना छोड़ दिये हैं ! उनकी सरकार ने आचार्यश्री को ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित भी की थी !