जो दो-दो बार ‘भारतरत्न’ से अलंकृत किए गए !
पहलीबार देशवासियों द्वारा, तो दूसरी भारत सरकार द्वारा।
देश के सबसे मेधावी छात्र, जो दो-दो बार ‘भारत रत्न’, क्योंकि यह अलंकरण मिलने से पहले ही वे ‘देशरत्न’ भी रहे, साथ ही भारतीय संविधान की निर्मात्री सभा के एकमात्र पूर्णकालिक अध्यक्ष, देश के प्रथम राष्ट्रपति, देश के सर्वाधिक समय तक रहे राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जन्मतिथि और पुण्यतिथि में सार्वजनिक अवकाश नहीं रहती, किन्तु उनकी जन्मतिथि पर राष्ट्रीय मेधा-दिवस के रूप में मनाए जाते हैं । उनके अतुलनीय मेधावी रहने के कारण ही यह दिवस मनाये जाते हैं।
राष्ट्रपति बनने से पहले वे नेहरू मन्त्रिमण्डल में प्रथम खाद्य मंत्री रहे, किन्तु प्रथम राष्ट्रपति बनने के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से उनकी कभी पटी नहीं! एकतरफ नेहरू की विलासी ज़िन्दगी, दूजे तरफ डॉ. प्रसाद की सादगी! नेहरू जी ऐसे कितने ही अधिनियमों को जेब में रखे रहते थे, जिसे जेबी अधिनियम कहते हैं! डॉ. प्रसाद इसके विरुद्ध थे, उनका कहना था कि इन अधिनियमों पर सदन में पहले चर्चा-परिचर्चा हो !
राष्ट्रपिता के वे काफी करीबी हो गए थे, गाँधी जी खुद बैरिस्टर होते हुए भी राजेन्द्र बाबू से विधिक-सेवा लेते थे ! इसके साथ ही राजेन्द्र बाबू की आत्मकथा ‘सरलता’ को लेकर सबसे उत्तम रचना मानी जाती है।