पृथ्वी पर स्वयं को शून्य कर ‘शून्य’ में विलीन हो गए हमारे सितारे !
भारत सरकार से ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित व ‘ठुमरी’ विधा की महान लोक गायिका गिरिजा देवी के गुजर जाने से इस गायन विधा में जो रिक्तता व शून्यता आयी एक तो भरी नहीं जा सकती, दूज़े इस ‘राग माता’ की शिष्याएं यथा:- मालिनी अवस्थी, शारदा सिन्हा आदि उस स्थान तक पहुंच नहीं सकते ! ऐसे में जब बिहार की विंध्यवासिनी देवी भी जीवित नहीं रही, तब राग भैरवी का आनंद अब कैसे आ पाएगी ? वो कई बरसों से बीमार थी और नब्बे के करीब थी ! गिरिजा देवी की तुलना सितारा देवी से नहीं की जा सकती, बावजूद वो लोकगीतों की लता मंगेशकर जरूर थी। यतीन्द्र मिश्र ने भारत रत्न लता से पहले गिरिजा देवी पर ही ‘गिरिजा’ नामक किताब लिखा था।
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मिलती है जिंदगी में मुहब्बत कभी-कभी, ईश्वर-अल्लाह तेरों नाम, मेरे घर आई है नन्हीं परी जैसे गीतों के अमर रचयिता अब्दुल हई यानी साहिर लुधियानवी का जन्म अविभाजित भारत में हुआ था, जो कि विभाजन के बाद लुधियाना में बस गए और साहिर हो गए । सैकड़ों हिंदी फिल्मों के लिए हज़ारों गीतों के रचनाकार साहिर का निधन 25 अक्टूबर 1980 में हो गया। आकाशवाणी से फरमाइशी प्रोग्राम में गीतकार के नामोच्चार में सर्वप्रथम नाम इनके ही दिए गए थे । वे गीतकारों की लड़ाई ताउम्र लड़ते रहे । भारत रत्न लता मंगेशकर से उनका विवाद जगप्रसिद्ध है । दरअसल, वे मेहनताना के तौर पर ‘लता’ दी से 1 रुपया ज्यादा ही लेते थे, जिनसे लता दी उनके गाने गाना छोड़ दिए, वो तो स्व. यश चोपड़ा के हस्तक्षेप पर फिर लता दी गाने को तैयार हुई। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने जितना ध्यान औरों पर दिया उतना खुद पर नहीं । वे एक नास्तिक थे तथा उन्होंने आजादी के बाद अपने कई हिन्दू तथा सिख मित्रों की कमी महसूस की, जो लाहौर में थे। उनको जीवन में दो प्रेम असफलता मिली – पहला कॉलेज के दिनों में अमृता प्रीतम के साथ जब अमृता के घरवालों ने उनकी शादी न करने का फैसला ये सोचकर लिया कि साहिर एक तो मुस्लिम हैं दूसरे ग़रीब और दूसरी सुधा मल्होत्रा से। वे आजीवन अविवाहित रहे तथा उनसठ वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।
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1,000 से अधिक तमिल फिल्मों के पटकथा लेखक और कई बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे व द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के अध्यक्ष 94 वर्षीय माननीय एम. करुणानिधि हम-सबसे बिछुड़ गए । इसे अंतिम द्रविड़ नेता कहा जा सकता है, क्योंकि मात्र कुछ साल पहले ही अन्ना द्रमुक की नेत्री माननीया जयललिता भी हम सबसे बिछुड़कर रूहानी दिया को कूच कर गई थी ! तमिलनाडु में अब युवाओं का उदय होगा ! माननीय करुणानिधि को स्मरणीय श्रद्धांजलि ! ध्यातव्य है, 7 अगस्त को उस महान व्यक्ति का पुण्यतिथि भी है, जो दुनिया के पहले ऐसे गीतकार हैं, जिन्होंने तीन देशों (भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश) के राष्ट्रगान को लिखा, तो एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता भी हुए । ऐसे महान व्यक्ति रवींद्रनाथ ठाकुर व रवीन्द्रनाथ टैगोर को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें सहित उनके तमाम प्रशंसकों को सादर सुमन ! गुरुदेव, कवीन्द्र आदि उपनामों से विशेषित विश्वकवि टैगोर विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के संस्थापक भी थे । उनपर अंग्रेजों को साथ देने का ठप्पा भी लगा था, किन्तु जलियाँवाला हत्याकांड के बाद जब उन्होंने ‘सर’ (Knight) की उपाधि अंग्रेज सरकार को वापस कर दिया, तब उन्हें अंग्रेजी-ठप्पा से मुक्ति मिली !
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