आओ थोड़ा जी लेते हैं
भूल प्रतिस्पर्धा
और
परीक्षाओं का आतंक
फिर से इक बार…
उधार ही सही,
पर किसी से,
उन्मुक्त हंसी ले लेते हैं ।
आओ जीवन का जी लेते हैं ।।
सिमटा है बचपन
आजकल
वीडियो, कंप्यूटर की स्क्रीनों में
छोड़ के आधुनिकता के यह बंधन…
खेत खलिहानो में,
माटी की गोद में,
जीवन की सीख़ ले लेते हैं।
आओ थोड़ा जी लेते हैं।।
चारदीवारी से
निकल के बाहर
संग दोस्तों के
पत्तों की छाया में…
कुछ भीगते,
और कुछ खुद को बचाते हुए,
बारिश की बूंदे पी लेते हैं
आओ थोड़ा जी लेते हैं।।
अंजु गुप्ता