एक गुज़ारिश इतनी प्रभु से
पल-पल बीत रहे हैं पल, हर पल नया एहसास कराता है,
कभी हंसता, कभी रोता, कभी नाराज़ भी वह हो जाता है,
रातें उसी की, दिन उसी का, सम्पूर्ण जीवन उसके नाम है,
हर पल सुनहरा हो उसका, अब बस इतना ही तो ख़्वाब है,
चाह यही मां-बाप की, जीवन में अपने नाम कमाये वह,
जो चाहे हासिल करे, स्वयं में इतना विश्वास भर पाये वह,
है गुज़ारिश केवल इतनी प्रभु से, स्वस्थ जीवन उसे देना
कठिन हो राहें भले, हर राह पर उसे अवसर अवश्य देना,
अपनी मेहनत, लगन से, मुश्किल को आसान बनाये वह,
बुलंदियों को छू सके और तूफानों से भी टकरा जाये वह,
हो चुनौती जो जीवन में, जीत की तरफ कदम बढ़ाये वह,
चले सत्य की राह पर, गलत राह हरगिज़ ना अपनाये वह,
चल रहा है हर कदम आज, जिनकी उंगली थाम कर वह,
जवान होकर अपनी उंगली भी, उनके हाथों में थमाये वह,
माता पिता के लिए उसके दिल में भी त्याग हो बलिदान हो,
यही है जीवन का फ़लसफ़ा, जिसमें प्यार और सम्मान हो।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)