रविंदर सूदन भाई: स्वीकारिए जन्मदिन की बधाई
रविंदर सूदन भाई, सबसे पहले आपको जन्मदिन की कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं. सूर्य के समान देदीप्यमान और जाज्वल्यमान रवि भाई, आप स्वस्थ और सुरक्षित रहें और हमें अपनी लेखनी की प्रबुद्धता से परिचय कराते रहें, यही हमारी शुभकामना है. आपकी लेखनी की प्रबुद्धता की बाद बात में, पहले आपके जन्मदिन के उपलक्ष में आए कुछ संदेश-
आदरणीय रविन्दर जी के जन्म दिवस के लिए
‘हजारों बरस अपनी बेनूरी पे रोती है नरगिस,
बड़ी मुश्किल से पैदा होता है चमन में दीदावर पैदा’
आज एक ऐसी ही शख्सियत को जन्म दिन की बधाई देने हम सब इकट्ठा हुए हैं। वो शख्स जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, जिनके रोम-रोम से इंसानियत टपकती है, जिनका मानना है कि
‘सीख लूं फूलों से गाफिल मुद्दआ-ए-जिंदगी,
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है’,
जब हम इंसानियत की बात करते हैं तो उनका कहना है
‘खारिज इंसानियत से उसको समझो,
इंसां का अगर नहीं है हमदर्द इंसान’,
उनका दिल धड़कता है आदमी के लिए, बकौल उनके
‘धूप में प्यासे को पानी, शब को रस्ते में चिराग,
जाने वाले लोग कितने साहिबे-किरदार थे.’
गरीबों के आंसुओं पर उनका दिल पुकार उठता है
‘एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है,
तुमने देखा नहीं आंखों का समुन्दर होना’.
जब वे कलम से लड़ते हैं तो कहते हैं
‘लड़ने का दिल जो चाहे तो कलम उठाइए,
हो जंग भी अगर हो तो मजेदार जंग हो‘.
दुनिया उनकी निगाह में एक मुसाफिरखाना है,
‘मुसाफिर-ही-मुसाफिर हर तरफ हैं,
मगर हर शख्स तन्हा जा रहा है.’
वे जब भी किसी नये ब्लॉगर पर फिदा होते हैं तो कहते हैं
‘हर मुसाफिर के साथ आता है,
इक नया रास्ता हमेशा से’.
इंसानियत से भटकते हुओं को उनकी जुबां कहती है
‘नगरी-नगरी फिरा मुसाफिर, घर का रस्ता भूल गया,
क्या है तेरा क्या है मेरा, अपना-पराया भूल गया,
दो कदम चल आते उस के साथ-साथ.’
और इतना ही नहीं कोरोना के दौरान जब तपतपाती गर्मी में पैदल लौटते मजदूर मजबूर हो जाते हैं तो उन मजदूरों को अकेला देख तमतमाते हुए गुजारिश करते हैं- ”एक बूंद बारिश की, उनके हालात पर उन्हें रोना आता है और वह कह उठते हैं ‘कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास,
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास,
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद,
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद,
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद,
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद’.
गरीब की भूख से उनसे ज्यादा कौन वाकिफ होगा क्योंकि बकौल उनके
‘छोड़ती कुछ भी नहीं है भूख, वह रिश्तों को खाती है.’
मुल्क की पार्लियामेंट के बारे में जिक्र ए किस्सा करते हुए कहते हैं कि भगतसिंह की तरह भूख की दर्शक-दीर्घा से कूदकर, मरी हुई आँतों का शोर, अकाल की पर्चियाँ फेंकता है’,
आदमी की बात करते हुए कहते हैं ‘आदमी है तो आदमी ही रह, आदमियत को दागदार न कर’,
आखिरकार उन्होंने सोच लिया है ‘मैं बिछड़ों को मिलाने जा रहा हूँ, चलो दीवार ढाने जा रहा हूँ’ .
इस बेखौफ शख्सियत जिनका नाम है आदरणीय रविन्दर जी, मैं उन्हें सादर प्रणाम करते हुए उनके जन्मदिन की बधाई देता हूं और कहता हूं-
‘वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता,
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक मर नहीं जाता।’
आदरणीय महोदय, इन्हीं बेखौफ निगाहों से अपना ब्लॉग पर बने रहिए क्योंकि ‘घर ने अपना होश संभाला दिन निकला,
खिड़की में भर गया उजाला दिन निकला’.
हर बार एक नया सूरज दिखाने के लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं। इन्हीं शब्दों के साथ मैं आदरणीय रविन्दर जी को पुनः सादर नमन करता हूं।
सुदर्शन खन्ना
”रवि-किरण सुनहरी धूप लें आये, चंदा तारों संग शीतल चांदनी,
कुसुम प्रफुल्लित ताजगी, गुलशन खुशबू से भर इत्र दानी,
मुबारक हो जन्मदिन रविंदर जी, शायरी के शहंशाह,
तलवार की धार से तेज कलम है आपकी,आप हो लफ्जों के बादशाह.
सौहार्द और सुख रहे,
खिले-खिले फूल खुशियों भरी राहों में बिछे रहें,
हमराही-संग उमंग-आनंद का गीत सुमधुर आप गुनगुनाते रहें,
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई हो रविंदर जी, हार्दिक शुभकामनाएं.
चंचल जैन
प्रिय सखी लीला जी,
कृपया हमारी जन्मदिन की शुभकामनाएं रविंदर सूदन जी तक जरूर पहुंचा देना!
“शायरी के बेताज बादशाह, साहित्य के फलक पर उभरते रवि, आध्यात्मिक ज्ञान के तेजोमय सूर्य, रविंदर सूदन जी को जन्मदिन की लख लख बधाइयाँ तथा शुभकामनाएं!”
द्वारा कुसुम सुराणा
इंग्लैंड के गुरमैल भाई तो हमेशा की तरह इतने चुस्त निकले कि हमने 10 दिन पहले उन्हें आपके जन्मदिन पर कुछ संदेश लिख भेजने के लिए आमंत्रित किया था, उन्होंने तुरंत आपको जन्मदिन का बधाई-संदेश भेज दिया, जिसे आपने सस्नेह स्वीकारा और हमें सूचित भी किया.
रवि भाई: हमारी तरफ से भी जन्मदिन की बधाई स्वीकारिए-
”जन्मदिवस की बधाई हो,
खुशियों की शहनाई हो,
उठे नज़र जिस ओर, जिधर भी,
मस्त बहारें छाई हों.”
रवि भाई, हमने लिखा था कि आपकी लेखनी की प्रबुद्धता की बाद बात में. वास्तव में आपकी लेखनी की प्रबुद्धता ही तो है, जो सहज होते हुए भी हम सबको त्वरित आकर्षित करने में सक्षम होती है. हम एक उदाहरण देते हैं-
जब भी हमारा इंटरनेट डाउन होता है, तो मोबाइल में हमारे ब्लॉग के खुलते ही सबसे पहले वार्निंग (लघुकथा) ब्लॉग खुलता है. इस ब्लॉग में आपकी अपनी सहज-सटीक-सार्थक-मनमोहक शैली में जो प्रतिक्रिया आती है, वह इस प्रकार है-
”आदरणीय दीदी, बहुत शानदार लघुकथा. एक व्यक्ति बीमार पड़ा था. यमराज लेने आ गये. व्यक्ति आप कौन ? ‘यमराज’ व्यक्ति:आपने तो आने से पहले मुझे वार्निंग भी नहीं दी सीधे लेने पहुंच गये ? यमराज: मैने तुझे पहली वार्निंग दी तेरे बॉल काले से सफेद करके, दूसरी वार्निंग दी, तेरे दांत तोड़ने शुरु किये तुझे फिर भी समझ नहीं आई ? तीसरी वार्निंग दी तेरी आँखों की रोशनी कमजोर करके. चौथी और आखिरी वार्निंग दी, जब तू अपने पैरौ से चलने पर लड़खड़ाने लगा, अब तुझे और कितनी वार्निंग दी जाती ? एक व्यक्ति अस्पताल में भर्ती था, ऑपरेशन हो रहा था. आंख खुलने पर व्यक्ति: डॉक्टर साहब क्या मेरा आपरेशन सफल रहा ? मैं डॉक्टर नही, चित्रगुप्त हूँ, तेरा ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर तेरी मौत के बाद नीचे तेरे घरवालों से पैसे वसूल कर रहा है.”
आपकी लेखनी प्रासंगिकता और अध्यात्म से सराबोर होती है. जिस तरह का ब्लॉग होता है, उसकी शेरो-शायरी आपके पास मौजूद होती है. ‘रिश्तों की ऊष्मा (लघुकथा)’ ब्लॉग में आपने रिश्तों पर इतना कुछ लिख दिया, कि उस पर रिश्तों की महिमा को झलकाता ‘विशेष सदाबहार कैलेंडर- 155’ बन गया. इसी तरह ‘विश्वास (लघुकथा)’ में आपने विश्वास को आधार बनाया. ऐसा हर ब्लॉग में हुआ. ब्लॉग ”कृष्ण काव्य रूपक” के कामेंट्स में एक बार फिर आपका यही प्रासंगिक और आध्यात्मिक रूप दिखाई दिया-
1.मन तुलसी का दास है, वृन्दावन हो धाम,
सांस सांस राधा बसे, रोम रोम में श्याम.
2.है गोबिन्द, मोहब्बत एक एहसासों की पावन-सी कहानी है, कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है, यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आँखों में आंसू हैं, जो तू समझे तो मोती हैं, जो ना समझे तो पानी है.
3.राधे कृष्ण = राह दे कृष्ण, राधिका कृष्ण= राह दिखा कृष्ण, मीरा कृष्ण= मेरा कृष्ण, हरे कृष्ण= हर एक का कृष्ण.
4.देने के बदले लेना तो बीमारी है,
जो देकर भी कुछ ना ले, वही तो बांके बिहारी है.
5.यदि तुम जो चाहते हो के लिये लड़ते नहीं हो, तो जो खो देते हो उसके लिये रोना मत. — भगवद गीता.
6.भगवान को मंदिर से ज्यादा मनुष्य का हृदय पसंद है,
क्योंकि मंदिर में इंसान की चलती है, और हृदय में भगवान की.
ब्लॉग ”कोरोना-शायरी” तो मुख्यतः कामेंट्स में रविंदर सूदन जी की कलम से निःसृत है ही, हो सकता है इसी ब्लॉग से ”दिलखुश जुगलबंदी-28” भी बन जाए! वैसे इस ब्लॉग के कामेंट्स में सुदर्शन भाई और रविंदर भाई की चैट देखिए-
ब्लॉग कोरोना-शायरी
”एक खुशनुमा माहौल बन जाता है, जब अपना ब्लॉग पर रविन्दर ए आलम आ जाता है – शब्दों में खुसफुसाहट होने लगती है – तहज़ीब आ जाती है – आँखों में रौनक छा जाती है – दिलों की धड़कन बढ़ जाती है – और ऐसा होना लाज़िमी है – आदरणीय रविन्दर जी, सादर प्रणाम. आपकी शायरी आदरणीय दीदी की सदाबहार कलम से उतर कर सब के दिलों में छा रही है – कुछ नया कर गुजरने को उकसा रही है. आदरणीय दीदी, सादर प्रणाम. अनगिनत पाठकों को अपनी कलम का साथ देने के इस खूबसूरत अंदाज़ के लिए तहे दिल से शुक्रिया.”
”आदरणीय सुदर्शन जी, सादर नमन! जिसके लफ्ज़ों मे हमें अपना अक्स मिलता है बड़े नसीब से ऐसा कोई शख्स मिलता है. ज़िंदगी के रथ में लगाम बहुत हैं, अपनों केअपनों पर इल्जाम बहुत हैं, शिकायतों का दौर देखता हूँ तो थम सा जाता हूँ, लगता है उम्र कम है और इम्तिहान बहुत हैं.”
इसी ब्लॉग में रविंदर भाई की शायरी का एक और कमाल भी देख लीजिए-
कोरोना-शायरी
a= avoid crowd,
b = beware of fake news,
c = clean your hands,
d = don’t go out,
e = empty the streets, .
f = feed the pets,
g = gathering is bad,
h = hand sanitizing,
i = inside the home,
j = join fight against corona,
k = kind to the needy,
l= learn a new skill,
m = meditate daily.
n = no handshake,
p = practice your passion,
q = quarntine yourself,
r = regular exercising,
s = social distancing,
t = travelling is dangerous,
u = use masks,
v = visit doctor online,
w = weaponised immune system,
x = xtra precaution for elders,
y = your awareness is prevention
z = zero face touching.
रविंदर भाई के कामेंट्स के बारे में लिखते रहेंगे, तो न जाने कितने उपन्यास बन जाएंगे, फिर भी कुछ तो लिखना भी बहुत जरूरी है-
हमने सबकी तरह रविंदर भाई को भी अपने जन्मदिन पर कुछ लिखने को भेज दिया था. लॉकडाउन (लघुकथा) में रविंदर भाई ने लिखा-
”आदरणीय लीला जी, नमस्कार. मैं रवीना सुमन हूँ पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ । मेरा कोई एकाउंट न होने के कारण इनका ही एकाउंट इनसे लिया है, यह भी मेरी बातों से सहमत हैं। आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ । आपके हर ब्लॉग को पढ़ती हूँ, आपकी सकारात्मकता की भी प्रशंसक हूँ । आपने अपने ब्लॉगरों से भी इनके जन्मदिन पर कुछ लिखने को कहा है। एक तो आपदा का समय दूसरा आपके ब्लॉग में मैंने एक बात देखी है कि आप इस शख्स रविंदर सूदन की बहुत तारीफ़ करती हैं । मुझे तो इस शख्स में ऐसी कोई ख़ास बात दिखाई नहीं पड़ती जिसके कारण इसकी इतनी प्रशंसा की जाए. आप का अपना ब्लॉग का परिवार आपकी बहुत इज्जत करता है, उसमें बड़े-बड़े दिग्गज ब्लॉगर हैं, आपके कारण आपका लिहाज करते हुए उन्हें भी मजबूरी में इसकी तारीफ़ में कुछ-न-कुछ लिखना पड़ जाता है, भले ही वह दिल से इस बात के लिए आपसे सहमत हों या नहीं. मेरे विचार से यह शख्स इतनी तारीफ़ लायक नहीं लगता । यह कभी इतिहास की बात करता है, कभी राजनीति की, कभी हास्य-व्यंग्य, कभी आध्यात्म की, जबकि यह किसी एक विषय का कोई ख़ास जानकार नहीं मालूम पड़ता । किसी विषय की गहन जानकारी रखना या किसी विशेष विषय का विशेषज्ञ होना व्यक्ति को ख़ास बनाता है, जबकि इसमें ऐसी कोई बात नहीं. इसके बारे फेस बुक या कहीं पढ़ा था कि जिस विषय में यह पढ़ा है, रसायन, उसका सवाल पूछने पर कहता है, रसायन के अलावा और कुछ भी पूछ लो। इसे मेरी इससे कोई ईर्ष्या या जलन नहीं समझिये, इसका जन्मदिन है, फार्मेलिटी के नाते मैं भी इसे जन्मदिन की बधाई देती हूँ, पर आपसे अनुरोध है, कि अनावश्यक इसकी तारीफ़ न किया करें, या करें भी तो नपे-तुले गिनती के कुछ शब्दों में । आशा है आप इसे अन्यथा नहीं लेंगी, और दूसरे ब्लॉगरों को भी राहत पहुंचाएंगी, धन्यवाद ।”
और
”आदरणीय महोदया, (मैं रवीना सुमन ) इसे कह देना कोई चाहे कितना भी महान क्यों न हो जाए कुदरत कभी भी किसी को महान बनने का मौका नहीं देती। कंठ दिया कोयल को तो रूप छीन लिया। रूप दिया मोर को तो इच्छा छीन ली । इच्छा दी मनुष्य को तो संतोष छीन लिया । संतोष दिया संत को तो संसार छीन लिया। देवी देवताओं को संसार चलाने दिया तो मोक्ष छीन लिया। मोक्ष दिया निराकार को तो आकार छीन लिया । मत करना गुरुर अपने आप पर ऐ इंसान, रब ने इसके और मेरे जैसे कितने मिट्टी से बना के मिट्टी में मिला दिए। तारीख गवाह है जिन्हें अखबारों में बने रहने का शोक (शौक) रहा हैं वक़्त बीतने के साथ वो रद्दी के भाव बिक गए.”
इस पर कुलदीप भाई ने लिखा-
”इस छोटे से लेख में मानो जिंदगी का सार लिख दिया. बेहद शानदार रवीना जी.”
हिंदी के बारे में रविंदर भाई ने ”विशेष सदाबहार कैलेंडर-111” में लिखा था-
”मैकाले की थोपी इंग्लिश ने
बना दिया सबको गुलाम ।
हिन्द में पैदा हिन्दुस्तानी को
हिंदी में ही करना है सब काम ॥
-रविंदर सूदन”
रविंदर भाई के जीवन और लेखन के बड़े-से कैनवास के बारे में लिखने को बहुत कुछ है, कुछ कामेंट्स के लिए शेष रहने देते हैं. फिलहाल रविंदर भाई को एक बार फिर जन्मदिन की कोटिशः हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं देते हुए हम आपके समक्ष जन्मदिन गीत का यू.ट्यूब लिंक प्रस्तुत करते हैं-
मन में अनहद बाजे जन्मदिन तेरा है
संतों की संगत साजे जन्मदिन तेरा है-
1.बरसे प्रेम की अमृतधारा
सुखमय हो तेरा जीवन सारा
सुर की सरगम बाजे जन्मदिन तेरा है-मन में अनहद———
2.खिल जाएं आनंद की कलियां
हर्षित हों वन-उपवन-गलियां
खुशियां छ्म-छ्म नाचें जन्मदिन तेरा है-मन में अनहद———
3.चारों ओर सजे हरियाली
जिधर नज़र जाए खुशहाली
जीवन में रस साजे जन्मदिन तेरा है-मन में अनहद———
4.आती रहे ऐसी पावन वेला
साल हज़ारों हो यह मेला
गीत खुशी के गाएं जन्मदिन तेरा है-मन में अनहद———