लॉकडाउन 3.0 के बहाने देशवासियों को लंबे समय तक संयम और सुरक्षित जीवन अपनाए रखने के प्रति आगाह
परहेज ही बचाव का सर्वोत्तम उपाय है, इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन करके यह स्पष्ट किया कि जिस महामारी के लिए जब कोई दवा नहीं बनी हो, तो लोग अनावश्यक मटरगश्ती न कर खुद को घर में रखें और अत्यावश्यक कार्य पर ही बाहर जाए। प्रधानमंत्री के इस पहल का स्वागत होनी चाहिए।
अब तो 57 दिवसीय लॉकडाउन अगर सालभर के लिए रह जाय, तब क्या होगा ? लॉकडाउन 3.0 देशवासियों को सालभर संयम रखने का आगाह तो नहीं ! लॉकडाउन में उर्दूभाषी श्रीमद्भगवादगीताभि पढ़ सकते हैं। ध्यातव्य है, शायरी के बेताज़ बादशाह अनवर अहमद जलालपुरी 2018 के दूसरे दिन ही गुजर गए थे । वे 72 वर्ष के थे ! लखनऊ के एक अस्पताल में दिसम्बर’18 के अंतिम सप्ताह से वेंटिलेटर पर थे । वह न सिर्फ हिंदुस्तान में, वरन विदेशों में भी लोकप्रिय थे । उन्होंने कई देशों की यात्रा कर रखे थे। श्रीमद्भगवद्गीता को पहलीबार उर्दू में अनुवाद करनेवाले अनवर जलालपुरी ही थे। उनके द्वारा शायरी कहने का अंदाज़ ही गज़ब का था । उनकी गायकी कई फिल्मों में हैं, तो वे उर्दू के विद्वान भी थे, उन्हें भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’, तो उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती सम्मान’ प्रदान किया था । उन्होंने श्रीमद्भगवद् गीता का अनुवाद उर्दू में किया। वे शिक्षाविद के तौर पर उत्तर प्रदेश स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके थे । वे उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर के जलालपुर के रहनेवाले थे। देश के इस्लाम धर्मावलम्बियों के लिए रमजान का महीना लॉकडाउन 2.0 में आरंभ हुआ, जो लॉकडाउन 3.0 के बाद भी रहेगी।
लॉकडाउन अवधि में कई धर्मों के कई पर्व-त्योहार धार्मिक स्थलों के बगैर मनाये गए, तो महापुरुषों की जयंतियाँ भी लोग घर पर सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग में मनाएँ। कोरोना कहर के कारण देश में लॉकडाउन क्रमश: 1.0, 2.0, 3.0 में लोग घर पर ही रहकर स्वाध्यायी जीवनशैली अपना बैठे हैं । रमजान का पवित्र माह भी संयमी और सुरक्षित जीवन जीने का संदेश देते हैं । रोजेदारों को संयमित, सुरक्षित और सोशल डिस्टेंसिंग में रोजा रखने की सदाग्रह है, जो कि समाज और मानवहित में महानतम संदेश साबित होंगे!
यदि आपको आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ने में रुचि है, तो परमसंत महर्षि मेंहीं की ‘सत्संग योग’ पढ़िए और योग कीजिए। कोई भी ‘संत’ स्थान, धर्म और काल विशेष से परे होते हैं, बावजूद बिहार, झारखंड आदि राज्यों व नेपाल, जापान आदि देशों में लोकप्रिय संत महर्षि मेंहीं और उनके आध्यात्मिक-प्रवचन से भारत के राष्ट्रपति डॉ. शर्मा, प्रधानमन्त्री श्री वाजपेयी सहित कई राज्यो के राज्यपाल, मुख्यमंत्री , नेपाल के महाराजा सहित अनेक व्यक्ति प्रभावित हुए हैं । संत टेरेसा और बिनोवा भावे उनसे खासे प्रभावित थे । ‘सत्संग-योग’ पुस्तक उनकी अनुकरणीय कृति है । जिसतरह से भगवान बुद्ध के लिए बौद्धगया महत्वपूर्ण रहा है, उसी भाँति महर्षि मेंहीं के लिए कुप्पाघाट, भागलपुर महत्वपूर्ण स्थल है । प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु इस स्थल के दर्शन करने आते हैं । मैंने विगत सितम्बर में इस संत को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ प्रदानार्थ आधिकारिक ‘प्रार्थना-पत्र’ गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा है। इस समाचार पत्र के माध्यम से पाठकों से अपील है, वे सब इस मुहिम को मंजिल तक पहुँचाए।