सीख लिया
पलकों में ही अश्रु संजोकर पीना सीख लिया ,
रोते – रोते हँसकर मैंने जीना सीख लिया,
सबकी खुशियों में सुन मैंने भूलकर अपनी खुशी ,
हर खुशियों में खुशी – खुशी खुश होना सीख लिया।
बहुत मिले हैं फूल पथ पर बहुत चुभे हैं शूल ,
चलकर मैंने सम्हल – सम्हल करीना सीख लिया |
बात हमारी हम तक रहे चाहा है हम दोनो ने,
इसीलिये अधरों को मैंने सीना सीख लिया |
उमड़ी उर में प्रीत तभी बही भावना सरिता ,
डूब-डूब कर मैंने भी डुबोना सीख लिया |
जब – जब उमड़ी भावना लिखा मैंने गीत गज़ल,
यूँ ही चुन-चुन शब्द सुमन पिरोना सीख लिया |