कुण्डलियाँ
देना है तो दीजिये , थोडा सा सम्मान ,
बदले में ले लीजिये खुशियों भरा जहान,
खुशियों भरा जहान, लगेगा जीवन प्यारा,
होंगे हर दुख दूर , मिटेगा तम ये सारा .
सुख दुख की ये नदी, यहां जीवन है खेना ,
जग से जो भी मिला, वही उसको है देना।
— महेंद्र कुमार वर्मा