हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन के प्रसंगश: जिंदगी में ‘हास्य’ भी जरूरी
चार्ली का जीवन अभावों में बीता, द्रष्टव्यश: माँ-पिता के जीवित रहते भी अनाथालय गया, माँ-पिता को अलग होते देखा, सौतेली माँ की अत्याचार देखा, बाल्यावस्था में ही पिता की दर्दनाक मौत देखा, स्वयं की शादी भी टूटते देखा, कई मुक़द्दमें भी झेला, हिटलर की रूपाकृति पर धमकियाँ भी झेलें, आजन्म दुःख और उपहास पाया । तब कहीं जाकर वे चार्ली चैपलिन बन पाए ! उन्होंने खुद कहा है-
“मुझे बारिश में भींगना अच्छा लगता है,
क्योंकि कोई तब मेरे आंसू देख नहीं सकता है।”
उनकी आत्मकथा ‘My life in pictures’, जो 1974 में प्रकाशित हुई थी, में चार्ली ने लिखा है कि उसने ‘द फ्रीक’ नामक टाइटल से वे बेटी विक्टोरिया के लिए पटकथा लिखा था और फ़िल्म निर्माण का कार्य भी शुरू कर चुके थे कि बीसवीं सदी के सातवें दशक में उनकी खुद की तबियत खराब होने से बेटी को अभिनेत्री बनाने के सापेक्ष प्रयास तब खत्म हो गयी।
बताते चलूँ कि चार्ल्स स्पेन्सर चैप्लिन यानी चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन के समीप हुआ था । उनके पिता गायक थे, तो माँ गायिका के साथ-साथ अभिनेत्री भी थी । माँ हन्ना हिल काफी चर्चित अभिनेत्री थी । चार्ली की उम्र जब तीन साल के थे, तो माँ और पिता में तलाक हो गए ! माँ ने दूसरी शादी कर ली थी और चार्ली का आवास नानी के यहाँ रहा, किंतु उनकी नानी घुमंतू, जो घुमंतू स्वभाव की थी और खुद डांसर थी, उन्हें अनाथालय छोड़ दिया गया और यहीं से चार्ली चैपलिन की ट्रेजेडी शुरू होती है।
उन्होंने कई शादियाँ की थी, 4 पत्नियों को जोड़कर लगभग 13 महिलाओं से उनके शारीरिक संबंध थे ! विकिपीडिया के अनुसार, गायिका हेटी केली उनकी पहली प्यार थी । अभिनेत्री एडविना परविन्स से मुहब्बत भी परवान तक जा पहुँची थी । मिड्रेड हिर्रीस भी अभिनेत्री थी, तो पोला नेग्री पोलैंड की अभिनेत्री थी । इसीप्रकार मेरिन डेविस, लिटा ग्रे, मरना कैनेडी, जॉर्जिया हेल, लुइस ब्रुक, मे रीव्स, गोडार्ड, जोएन बेरी, ऊना ओ’नील इत्यादि प्रमुख थे। ऊना ओ’नील उनके साथ 14 वर्ष बिताई और चार्ली की अंतिम संतान इन्हीं से हुए थे । इस संतान के पैदा होने के समय चार्ली की 73 वर्ष था।
चार्ली चैपलिन की एक्टिंग और मूँछे ‘हिटलर’ के जीवन और मूँछे से प्रभावित थी । उनके भारतीय रूप वॉलीवुड के पहले शोमैन राज कपूर को कह सकते हैं । अभिनेता राज कपूर की फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ चार्ली की फ़िल्म ‘सर्कस’ से प्रभावित थी।
ऐसा नहीं है कि हमेशा हँसते या मुस्कराते व्यक्ति के पास गम नहीं हो ! हो सकता है, ऐसे व्यक्ति गम छुपाने के लिए हँसने का प्रयास कर रहे हो या मुस्करा भर रहे हो !
काका हाथरसी की हास्य कविता तो सुनिए-
“प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो।
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो,भाग्य वाद पर अड़े हुए हो।
छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली, जीवन में परिवर्तन लाओ।
परंपरा से ऊंचे उठ कर, कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ।
जब तक घर मे धन संपति हो, बने रहो प्रिय आज्ञाकारी ।
पढो, लिखो, शादी करवा लो , फिर मानो यह बात हमारी।
माता पिता से काट कनेक्शन, अपना दड़बा अलग बसाओ
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ!
करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको, पैसे की है सख़्त ज़रूरत।
अर्थ समस्या हल हो जाए, शीघ्र निकालो ऐसी सूरत।
हिन्दी के हिमायती बन कर, संस्थाओं से नेह जोड़िये।
किंतु आपसी बातचीत में, अंग्रेजी की टांग तोड़िये।
इसे प्रयोगवाद कहते हैं, समझो गहराई में जाओ।
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ!
कवि बनने की इच्छा हो तो, यह भी कला बहुत मामूली।
नुस्खा बतलाता हूं, लिख लो, कविता क्या है, गाजर मूली।
कोश खोल कर रख लो आगे, क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो।
उन शब्दों का जाल बिछा कर, चाहो जैसी कविता बुन लो।
श्रोता जिसका अर्थ समझ लें, वह तो तुकबंदी है भाई।
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए, वह कविता है सबसे हाई।
इसी युक्ति से बनो महाकवि, उसे “नई कविता” बतलाओ।
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ!
चलते चलते मेन रोड पर, फिल्मी गाने गा सकते हो।
चौराहे पर खड़े खड़े तुम,चाट पकोड़ी खा सकते हो।
बड़े चलो उन्नति के पथ पर,रोक सके किस का बल बूता।
यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे, भारत में बाटा का जूता।
नई सभ्यता, नई संस्कृति, के नित चमत्कार दिखलाओ।
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ, पिकनिक का जब मूड बने तो।
ताजमहल पर जा सकते हो, शरद-पूर्णिमा दिखलाने को।
उन्हें साथ ले जा सकते हो,वे देखें जिस समय चंद्रमा ।
तब तुम निरखो सुघर चांदनी,फिर दोनों मिल कर के गाओ।
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी, तू मेरा चांद मैं तेरी चांदनी।
आलू छोला, कोका-कोला, उनका भोग लगा कर पाओ।
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ !”
हर रचनात्मक मनुष्यों में हास्यपुट समंजित रहती है । पत्रकार ऋचा मिश्रा ने गहन शोधकर चार्ली चैपलिन के वाक्यांशों को खोज निकाली है, यथा- जिंदगी में बेशुमार दिक्कतें आती हैं, लेकिन यह बात मेरे होंठ नहीं जानते । वो सिर्फ मुस्कराना जानते हैं । मैं सिर्फ एक चीज बनकर रहना चाहता हूं और वह है विदूषक । यही चीजें मुझे नेताओं से कहीं ऊंचा दर्जा देती है। बड़े दिलवालों के साथ दुनिया अक्सर बुरा व्यवहार करती है। आईना मेरा सबसे अच्छा दोस्त है क्योंकि जब मैं रोता हूं तो वो कभी नहीं हंसता । जिस दिन आप हंसते नहीं वो दिन बेकार चला जाता है । इस अजीबोगरीब दुनिया में कोई चीज स्थाई नहीं है । हमारी मुश्किलें और मुसीबतें भी नहीं ! एक इंसान का असली चरित्र केवल तभी सामने आता है, जब वो नशे में हो । नाकामी को ज्यादा तरजीह नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि खुद का मजाक बनाने के लिए काफी हिम्मत की जरूरत होती है। हम सोचते कहीं ज्यादा हैं और महसूस काफी कम करते हैं।