सामाजिक

विद्यार्थी जीवन में संकल्प शक्ति की उपयोगिता एवं महत्व

संकल्प एक ऐसी अद्भुत शक्ति का नाम है, जिसके माध्यम से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है| जब विद्यार्थी पूरे मनोयोग से किसी कार्य को करने का संकल्प लेता है तो उसके मार्ग में आने वाले कंटक उसकी संकल्प शक्ति के आगे तृणवत् बह जाते हैं | संकल्प का शाब्दिक अर्थ है दृढ़ता अर्थात पक्का इरादा। विद्यार्थी  को जीवन के सभी क्षेत्रों में संकल्प शक्ति कि आवश्यकता पड़ती है |संकल्प की पूर्ति का प्रयास पूरे मन से किया जाए स्वयं पर और ईश्वर की कृपा पर विश्वास किया जाए तो असंभव कार्य भी सिद्ध होते देर नहीं लगती | दृढ़-इच्छा शक्ति वाले विद्यार्थी  के लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं या यूं भी कह सकते हैं कि दृढ़-इच्छा शक्ति से लबरेज़ विद्यार्थी के समक्ष समूची सृष्टि नतमस्तक रहती है |

मन को नियंत्रित करने और इच्छाओं को वश में करने से ही संकल्प शक्ति बढ़ती है, परंतु यदि मन मैं किसी के अहित की भावना, स्वार्थ या वासना प्रवेश कर जाए तो संकल्प शक्ति निर्बल होते देर नहीं लगती| इच्छाएँ जितनी कम शुद्ध, सात्विक और लोक-कल्याणकारी होंगी उतनी ही संकल्प शक्ति बलवान होगी|

यदि संकल्प शक्ति दृढ़ हो जाए तो दो अन्य शक्तियों का प्राग्ट्य स्वतः ही हो जाता है| इसमें पहली शक्ति है ‘अनुमान शक्ति’ दूसरी है ‘स्मरण शक्ति’ |संकल्प शक्ति का विकास करने के लिए आवश्यक है कि हम अपने अंदर सहनशीलता, प्रसन्नता, सत्यता, दृढ़ता, धैर्य, और नियमित ध्यान जैसे गुणों को विकसित करें साथ ही असहनशीलता, अप्रसन्नता व चिड़चिड़ाहट, दुर्बलता और अधीरता जैसे दुर्गुणों से सतर्क रहें | ऐसे प्रयास करते रहने से संकल्प में बल आता है तथा हमारे आस-पास के लोग भी हमसे प्रसन्न रहते हैं|

यदि कभी परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल नहीं भी हैं तो कोई बात नहीं आप परिस्थितियों को नहीं बल्कि अपनी मन:स्थिति को बदलने का प्रयास करें| किसी भी परिस्थिति से भागें नहीं बल्कि उसका सदुपयोग करते हुए प्रत्येक परिस्थिति में अपने आप को प्रसन्न रखने का स्वभाव बनाएँ| इससे हमारे व्यक्तित्व में तेजस्विता और प्रखरता का विकास होता है|

संकल्पों का चुनाव बड़ी सावधानी पूर्वक करें और सबसे पहले वे संकल्प लें जो थोड़े से प्रयत्न और आसानी से पूर्ण हो जाएँ क्योंकि यदि शुरुवात में ही बड़े संकल्प ले लेंगे तो उन्हे निभाने में परेशानियाँ आएंगी और यदि वे पूरे नहीं हुए तो हम हतोत्साहित हो जाएँगे इसलिए पहले छोटे-छोटे संकल्पों का व्रत लें और पूरी तत्परता से उनको पूर्ण करें इस प्रकार धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाएँ |

जो भी विद्यार्थी  किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना चाहता है उसके लिए ये भी आवश्यक है कि वह अपने मन -मस्तिष्क को शांत रखे अत्यधिक विचारों के प्रवाह से बचे अन्यथा संशय उत्पन्न होते हैं कि मेरा काम होगा या नहीं, मुझे सफलता मिलेगी या नहीं ऐसे विचारों से संकल्प बल कमजोर होने लगता है|

अत: सफलता के लिए मन को अनुशासित रखना आवश्यक होता है जितना अनुशासन होगा संकल्प में उतनी तेजस्विता आएगी और आशानुरूप सफलता प्राप्त होगी|

किसी भी कार्य को करते हुए मन को शांत रखना और कर्म करते हुए ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए| उन सफल लोगों का चिंतन करना चाहिए, जिन्होंने विकट परिस्थितियों पर जीत हासिल की और सरलता एवं सहजता को अपनी सफलता का माध्यम बनाया| जबकि ऐसे धूर्त और दुष्ट लोगों से दूरी बनानी चाहिए जिन्होंने दूसरों का हक मारकर सफलता प्राप्त कर समाज में अपना स्थान बनाया है |

लोग हमेशा आपके लिए अच्छा सोचें सदैव आपका सम्मान हो ऐसी भावनाओं को मन में न आने दें क्योंकि जो विद्यार्थी  सात्विक आचरण करते हैं सही मार्ग पर चलते हैं प्राय: उनको ही समस्याएँ ज्यादा होती है इसलिए समस्याओं का स्वागत करें उनसे डरें नहीं | समस्याएँ हमारे व्यक्तित्व में और सुधार लाती हैं साथ ही ये हमारे लिए सफलता का मार्ग भी खोल देतीं हैं |

अत: दृढ़ संकल्प के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें और दूसरों के लिए प्रेम, दया, करुणा एवं उदारता को अपने जीवन में उतारें तो निश्चित रूप से आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मैं सक्षम होंगे |

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर' लेखक, विचारक, लघुकथाकार एवं वरिष्ठ स्तम्भकार सम्पर्क:- 8824851984 सुन्दर नगर, कोटा (राज.)