सुषमा शर्मा उर्फ सुषमा स्वराज : एक बहुआयामी व्यक्तित्व
भारतीय जनता पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता, वाजपेयी सरकार में पहली महिला मंत्री, दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री, देश की पहली पूर्णकालिक विदेश मंत्री, संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देनेवाली पहली महिला, लोकसभा में विपक्ष की नेता व नेत्री ! तो 2 राज्यों में मंत्री पद सम्भालनेवाली पहली महिला भी थी !
मूलतः, उनके परिवार लाहौर से यहाँ आये थे, बतौर शरणार्थी थे ! अंतिम ट्वीट उन्होंने अनुच्छेद 370 हटने पर प्रसन्नता व्यक्त करती हुई प्रधानमंत्री को हृदयगत धन्यवाद दी थी !
वे अपने पीछे न केवल पति स्वराज और एकमात्र संतान ‘बाँसुरी’ को छोड़ चल बसी है, अपितु समस्त भारतीयों, विदेश में रह रहे भारतीयों और मूक ‘गीता’ को छोड़ चल बसी ! उनकी आवाजों के कद्रदान उन्हें हमेशा ही चाहते रहेंगे, किन्तु दीगर बात यह है कि उनकी दत्तक पुत्री ‘गीता’ की शादी आखिर अब कौन कराएंगे ?
●●●
भाजपा के लिए ‘दक्षिण’ को भी सहेजना जरूरी ! दक्षिण की ओर लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज भी उम्मीदवार बनी थी। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले का वाकया है, कर्नाटक उपचुनाव में कांग्रेस-जदएस गठबंधन ने 5 में से 4 सीटें जीत ली, कर्नाटक की 3 लोकसभा सीटों और 2 विधानसभा सीटों में से बीजेपी महज एक लोकसभा सीट ही जीत पाई थी, वो भी शिमोगा ! जो कि पूर्व मुख्यमंत्री वी एस येदियुरप्पा की खाली सीट को उनके पुत्र ने जीता, तो बेलारी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार वी एस उगरप्पा 2,43,161 वोटों के अंतर से जीते। जो तुरंत पहले भाजपा ने जीती थी, किन्तु यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। ध्यातव्य है, सोनिया गांधी प्रथमबार यहाँ से उम्मीदवार बनी थी और उन्होंने सुषमा स्वराज को 50 हजार से अधिक वोटों से हरायी थी ।मांड्या लोकसभा सीट पर जदएस के एल आर शिवराम गौड़ा ने बाजी मारी, उन्होंने 3,24,943 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। विदित हो, शिमोगा लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की, जो पहले भी भाजपा की थी । बी. वाई. राघवेंद्र ने शिवमोगा लोकसभा सीट पर जदएस के मधु बंगारप्पा को हरा दिया। राघवेंद्र ने 52,148 वोटों के अंतर से मधु बंगारप्पा को हरा दिया।
यह तयशुदा सच है, वोटर किसी के नहीं होते ! वे कभी सत्तापक्ष के होते, कभी विपक्ष के, तो कभी निर्दलीय के, तो कभी किसी के नहीं यानी NOTA व नोटा के ! सभी राजनीतिक दलों को भ्रष्टाचारमुक्त जनहित हेतु कार्य करते रहना चाहिए । माननीया सुषमा स्वराज और माननीय अरुण जेटली एतदर्थ पथ-प्रदर्शक रहे हैं।