गीत/नवगीत

नवगीत– चिड़िया हैं सहमी

अफरा-तफरी मची हुई है
है गहमा-गहमी
आतंकी ने पाँव पसारे
चिड़िया हैं सहमी

दूर देश से यात्रायें यह
करके आया है
शायद गलती करके हमने
इसे बुलाया है
सारी दुनिया हुई प्रभावित
केवल नहीं हमी

कट जाता दिन किसी तरह तो
रात नहीं कटती
मन को मारे व्यथित-व्यथायें
आपस में लड़ती
संग में रहने वाले कहते
हुये आप बहमी

परेशान हो अनगिन पैदल
सड़के नाप रहे
सुनता नहीं एक भी कोई
किससे कथा कहें
बद से बदतर हाल हुआ है
रहम करो रहमी

थक कर चूर हुई मज़बूरी
मंजिल की दूरी
हवा-हवाई, इंतजाम हैं,
दे रहे सबूरी
कितने हैं परलोक सिधारे
आम कटे कलमी

दान-दक्षिणा हज़म किया सब
बैठे हैं ख़्वाजा
बिषम समय में ऊपर से कर
ठोंक रहा राजा
पानी सर से ऊँपर गुज़रा
जुल्म ढ़ाय जुलमी

अफरा-तफरी मची हुई है
है गहमा-गहमी
आतंकी ने पाँव पसारे
चिड़ियां हैं सहमी

— जयराम जय

जयराम जय

'पर्णिका' बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास कल्याणपुर कानपुर-208017(उ.प्र.) मो.नं. 9415429104; 8795811399 E-mail:[email protected]