कविता

सिसक रहे हम छुप छुप कर

देखकर दुनिया की हालत को
क्यों सिसक रहें हम छुप छुप कर
जाने ये कैसा वक्त है आया
कल तक हम मिलते थे जिनसे
हँसकर और गले मिलकर -क्यों
लगने लगी भली अब दूरी –उनसे
क्यों सिसक रहें हम छुप छुप कर ,
जाने ये कौन कहाँ से बला आई है
जिसने,अकाल मृत्यु का यह तांडव
पूरी दुनिया में है मचाई
जी रहे हैं लोग खौफ में उसके
कुछ चले गये आगोश में उसके
जो रह गये हैं बचे अभी -वो
जी रहे हैं डर डर कर आपस में
जाने कब उसके आगोश में जाने की
बारी मेरी आयेगी ,
इसलिए ,सिसक रहें हम छुप छुप कर ||

— शशि कांत श्रीवास्तव

शशि कांत श्रीवास्तव

1- नाम :- शशि कांत श्रीवास्तव 2- पिता का नाम :- स्व श्री तारा प्रसाद श्रीवास्तव 3- माँ का नाम :- स्व सरोजनी श्रीवास्तव 4- स्थाई पता :- शशि कांत श्रीवास्तव "प्रतिभास" 726/12, स्ट्रीट न0 - 09 शक्ति नगर डेराबस्सी मोहाली पंजाब Pin . 140507 5- फोन नं. :- 9646453610 6- जन्म तिथि :- 08-11-1963 7- शिक्षा :- इंटरमीडिएट ( विज्ञान ) 8- व्यवसाय :- नौकरी 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या :- कुल चौदह रचना 10- प्रकाशित पुस्तकों की संख्या :- आठ साझा संग्रह 11- सम्मान का विवरण :- साहित्यिक उपलब्धि : > प्रथम काव्य संग्रह ,"ख़्वाब के शज़र " श्री सत्यम प्रकाशन के सौजन्य से प्रकाशित " प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह " सम्मान स्वरुप > "भावांजलि -काव्य स्मारिका प्रथम " में रचना प्रकाशित > "बज़्मे- ऐ -हिन्द " काव्य संग्रह में प्रकाशित रचना दैनिक वर्तमान अंकुरके सौजन्य से प्रकाशित "प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह " सम्मान स्वरुप > साहित्यिक संस्था -साहित्यपीडिया द्वारा ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता "माँ " में .. सम्मान स्वरूप --प्रशस्ति पत्र ,प्राप्त हुआ ,और रचना "माँ " पार्ट 2 में प्रकाशित हुई .. > इसके अतिरिक्त कई न्यूज़ पोर्टल और समाचार पत्रों में समय समय पर प्रकाशित होती रहती हैं .