मुक्तक/दोहा

माँ की ममता के मुक्तक

  • माँ की ममता के मुक्तक

तेरी ममता की शीतल छाँव में सब ताप मिटते हैं
चूमती  है  मेरा  माथा  तो  सारे  पाप  कटते  हैं
पलकें  उठाकर  देखती   पल  भर  मुझे  तू  माँ
मेरे  दुर्भाग्य  के  क्षण में  सभी सन्ताप मिटते हैं

मेरे  अन्तर्हृदय  की  भावना को जान लेती है
मेरे  शब्दों  से  पहले तू मुझे पहचान  लेती है
ममता   वेदना   सम्वेदना   की   मूर्ति  है   तू
मेरी माँ सब हठों को तू विनय से मान लेती है

बनाकर हाथ से नवनीत तू मुझको खिलादे माँ
बिठाकर गोद में अपनी मुझे अमृत पिला दे माँ
न जाने कब कहाँ हो जाये पैदा कंस दुनिया में
थमाकर  हाथ  में  बंशी  कन्हैया तू  बनादे  माँ

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा
अध्यक्ष हिंदी विभाग
अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय
अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश)

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

विभागाध्यक्ष, हिंदी अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111 मोबाइल- 9826335430 ईमेल[email protected]