कहानी

रूही (कहानी)

रूही अपनी गाड़ी पार्क करके बाहर निकल ही रही थी कि रोहन ने उसे देख लिया और हाथ उठाकर अपनी ओर आने का  इशारा किया। चंडीगढ़ की चौड़ी सड़कें और उनके दोनों ओर खड़े छायादार वृक्ष जितने सुहावने दिखते हैं, उससे कहीं ज्यादा सुंदर चंडीगढ़ का सुखना लेक गार्डन है.. रूही, रोहन के पास आकर […]

कहानी

श्रद्धा

राजस्थान के जयपुर शहर  में मनु एक टेलीकॉम कंपनी में जॉब करता है। एक दिन श्रद्धा मनु की कंपनी में जॉब के सिलसिले में आती है। हल्के गुलाबी टॉप और जीन्स पहने हाथ में बैग लिए जैसे ही उसने मनु के ऑफिस में भीतर कदम रखा मानो कमरे का टेम्परेचर बदल गया, हवा में मानो […]

भाषा-साहित्य

सहित्य की लहरों का तट है सोशल मीडिया

“साहित्य समाज का दर्पण है,” यह उक्ति सदियों से उदहारण के रूप में प्रस्तुत की जाती रही है और आज भी मौखिक – लिखित रूप में सर्वग्राही है। साहित्य का सृजन युगानुरूप होता है, भोज पत्रों से चलता हुआ आज सोशल मीडिया पटल पर सतत रूप से अपने अस्तित्व को कायम रखे हुए है। काव्य […]

मुक्तक/दोहा

प्रिये गङ्गा सी तुम आना…

हृदय की धड़कनों में तुम मेरी हर सांस हो जाओ, जेठ की तुम दुपहरी में, सावनी आस हो जाओ, मनु सा बनके भटका हूँ, यहाँ जीवन – थपेड़ों से, श्रद्धा बनके तुम मेरी, सदा विश्वास हो जाओ।01 मोगरा सी महक बनकर, मेरे जीवन में तुम आना, मलयाचल से चलकर तुम, समीरण सी चली आना, मरुस्थल […]

भाषा-साहित्य

ऐसे ही श्रृंगार को नहीं कहा जाता रसराज

यूँ तो दुनिया में जितने भी रंग हैं, सब प्रकृति के अंग हैं, यही रंग जब नीलाकाश में इंद्रधनुष का रूप लेते हैं तो मानव जाति को स्वतः ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं। यूँ तो चन्द्रमा भी अपने रूप की कलाओं के साथ हर पल ब्रह्मांड में विचरण करता है, लेकिन जब एक […]

लेख

“भारतीय संस्कृति और रामराज्य की पुनर्स्थापना में  हिंदी भाषा का योगदान”

   हिंदी भाषा गङ्गा की भाँति पवित्र, निर्मल और आज भी भारतीय संस्कृति का गुणगान कर रही है। जिस तरह गङ्गा में किसी भी तरह की नदी नाले का पानी मिल जाने से वह वह गङ्गा जल हो जाता है ठीक उसी तरह हिंदी में किसी भी भाषा के शब्द आजाने से वह हिंदी का […]

कुण्डली/छंद

गणेश – स्तुति (छंद गीतिका)

हे गजानन दीन बन्धू , नेह वर्षा कीजिए, पाप से कर मुक्त मुझको, पुण्य से भर दीजिए, मोह के बंधन कसीले, दब गयी है भावना, काट दे उर बन्ध मेरे, कर रहा हूँ प्रार्थना।।                 डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

लेख

हिंदी साहित्य में नारी की भूमिका

’हिन्दी साहित्य में नारी की भूमिका और लेखन’ विषय बड़ा विचारणीय है। हिन्दी साहित्य के इतिहास का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि रीतिकाल तक साहित्य लेखन में नारी का योगदान शून्य रहा, लेकिन पूरा साहित्य लिखा गया नारी को केंद्र में रख कर ही। रीतिकाल तक नारी को भोग्या मात्र समझ कर चार […]

गीत/नवगीत

स्वतंत्रता

क्या है  स्वतंत्रता  और कैसी स्वतंत्रता किस किस के बलिदान की है स्वतंत्रता माता ने अपने लाल को बलिदान करदिया माँ भारती के स्वप्न को साकार कर दिया अपनी ही जवानी को देश पर लुटा दिया जालिमों के ज़ुल्म को हँस- हँस के सह गया नदियाँ बहाकर रक्त की मिली है स्वतंत्रता राखी के हाथ […]

मुक्तक/दोहा

मुंशी प्रेमचन्द को समर्पित मुक्तक

गोदान ग़बन और रंगभूमि हाँ कर्मभूमि के दाता हो, नारी – जीवन   के   संघर्षों  के  तुम  ही  उद्गाता हो, दीन-हीन के नायक तुम हो कृषक वेदना का स्वर हो, मानसरोवर के मराल तुम, कथा जगत के त्राता हो।। डॉ. शशिवल्लभ शर्मा