गोदान ग़बन और रंगभूमि हाँ कर्मभूमि के दाता हो, नारी – जीवन के संघर्षों के तुम ही उद्गाता हो, दीन-हीन के नायक तुम हो कृषक वेदना का स्वर हो, मानसरोवर के मराल तुम, कथा जगत के त्राता हो।। डॉ. शशिवल्लभ शर्मा
Author: डॉ. शशिवल्लभ शर्मा
समन्वय का महाकाव्य है, तुलसी का रामचरितमानस
हिंदी साहित्य-धरा पर महाकवि तुलसीदास की महान कृति रामचरितमानस देवलोक से उतरी पुण्य पावनी गङ्गा की निर्मल धारा है। उनके सम्पूर्ण साहित्य में प्रेम,भक्ति और दर्शन का जो समन्वय है, वह प्रयागराज का महासंगम है, जिसमें अवगाहन करने मात्र से जन्म-जन्मान्तरों के पाप क्षीण हो जाते हैं। एक भिखारी की कुटिया से लेकर महलों के […]
दुरुपयोग : भविष्य में विनाश को आमंत्रण
दुरुपयोग शब्द सदुपयोग शब्द का विलोम है, जिसका अर्थ होता है किसी वस्तु का गलत ढंग से किया गया प्रयोग। ऐसा किया गया उपयोग जिसका कोई फ़ायदा न मिले वह दुरुपयोग है। यह मानव की सूझबूझ पर निर्भर करता है कि चीजों का सदुपयोग करना है या दुरुपयोग। जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं जहाँ […]
जानें कैसे हुआ मृत्यु भोज का आरम्भ!
जानें कैसे हुआ मृत्यु भोज का आरम्भ! मृत्यु भोज एक सामाजिक बुराई है इसके विरोध में तमाम समाज सेवी संस्थाओं के द्वारा अभियान चलाये जाने के बाद भी यह बुराई खत्म होने का नाम नहीं ले रही । हालांकि कुछ हद तक इसमें कमी अवश्य आई है लेकिन आज बड़ी संख्या में मृत्यु भोज के […]
श्रृंगार परक दोहे
सौंदर्य परक दोहे नील कमल से नैन हैं, पलकें पात समान। मधुर अधर मकरन्द हैं, रम्भा रूप समान।1 चन्द्रानन सा गोल है, पूनम सी है देह। मंगल सी बिंदिया लसे, केतू हुआ विदेह।2 स्वर्णलता सी देह पर, मधुर अधर से फूल। दिव्य फलों से दिख रहे, कर्ण रहे जो झूल।3 रजताभा से माथ पर, अलक […]
चिकित्सकों को समर्पित मुक्तक
चिकित्सकों को समर्पित मुक्तक जिंदगी के सफर में जो हमारा ध्यान रखते हैं खिलाकर गोलियाँ कड़वी खड़े ये कान रखते हैं भगवान की औलाद हम ये जानते सब हैं उसी भगवान की औलाद का ये मान रखते हैं।1 डूबती हुई कस्तियों के किनारे तुम ही होते हो खड़ी हो मौत जब सम्मुख सहारे तुम ही […]
“गुरु के सानिध्य में आध्यात्मिक यात्रा आरम्भ करने का दिवस है गुरु पूर्णिमा”
“गुरु के सानिध्य में आध्यात्मिक यात्रा आरम्भ करने का दिवस है गुरु पूर्णिमा”- आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। भारतीय संस्कृति आध्यात्मिक संस्कृति है। अध्यात्म का अर्थ है आत्मा का अध्ययन औऱ संस्कृति का अर्थ है, परिष्कार , शुद्धिकरण। स्वयं को परिष्कृत करना। अर्थात आत्मा पर […]
कविता सम्वेदना है..हृदय का प्रस्फुटन है”
कविता सम्वेदना है..हृदय का प्रस्फुटन है” कविता क्या है? इसे समझना भी आवश्यक है,। मुझसे जुड़े हुए कई लोग ख़ासकर मेरे विद्यार्थी अक्सर पूछते हैं कि सर मुझे कविता लिखना सीखना है। मैं उनके सवालों का एक ही उत्तर देता हूं कि कविता कोई सीखने या समझाने की चीज नहीं है, यह तो उतरने की […]
“महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के अद्भुत रहस्य और प्रयोग”
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून विशेष “महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के अद्भुत रहस्य और प्रयोग” भारत आध्यात्मिक मूल्यों से सम्पन्न देश है। भारत की संस्कृति अध्यात्म जनित है। अध्यात्म में इक प्रत्यय लगने से ही आध्यात्मिक शब्द बना है, जिसका अर्थ है आत्मा का अध्ययन। आत्मा ,मनुष्य की ऐसी चेतना शक्ति है जो मनुष्य […]
दूध की भगौनी (कहानी)
दूध की भगौनी (कहानी) ——— लॉक डाउन में ऑफिस बन्द होने के कारण मोना घर पर फुर्सत में ही थी । टीवी देखने में , सोशल मीडिया से ही वक्त गुजर रहा था। हसबैंड का दूसरे शहर के थाने में ट्रासंफर हुआ तो उसे छुट्टी तो क्या मोबाइल से बात करने की भी फुर्सत […]