मुक्तक/दोहा

मुक्तक

मेरे अन्तर्हृदय की भावना को जान लेती है
मेरे शब्दों से पहले तू मुझे पहचान लेती है
ममता वेदना सम्वेदना की मूर्ति है तू
मेरी माँ सब हठों को तू विनय से मान लेती है

बनाकर हाथ से नवनीत तू मुझको खिला दे माँ
बिठाकर गोद में अपनी मुझे अमृत पिला दे माँ
न जाने कब कहाँ हो जाये पैदा कंस दुनिया में
थमाकर हाथ में वंशी कन्हैया तू बना दे माँ

— डाॅ शशि वल्लभ शर्मा

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

विभागाध्यक्ष, हिंदी अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111 मोबाइल- 9826335430 ईमेल[email protected]