माँ
बनाकर हाथ से नवनीत तू मुझको खिलादे माँ,
बिठाकर गोद में अपनी मुझे अमृत पिला दे माँ,
न जाने कब कहाँ हो जाये पैदा कंस दुनिया में,
थमाकर हाथ में बंशी कन्हैया तू बनादे माँ।
डॉ. शशिवल्लभ शर्मा