ग़ज़ल
माँ का शीतल पावन आँचल।
तपते दिन का सावन आँचल।
दुख में हर पल धैर्य बँधाता ,
माँ का कोमल वामन आँचल।
नौ का वह है सुगम पहाड़ा ,
प्यारा समतल उपवन आँचल।
तप में प्रकाश का सूर्य दिव्य,
जीवन-पट का फागुन आँचल।
संतति का सुदृढ़ सहारा नित,
रक्षक निर्मल भावन आँचल।
जन की मर्यादा है अपार,
निस्वार्थ भरा दामन आँचल।
माँ की ममता है ‘शुभम’अमर,
होता सदा सुभावन आँचल।
— शुभम