कविता

शब्द

शब्द शब्द चुनकर

लिखने लगी कविता।
शब्द शब्द से बहने लगी
काव्य की एक सरिता।
किसी शब्द से बहने लगी
उपमा की कोई धारा।
किसी शब्द से निखर गया
अलंकार कोई प्यारा।
किसी शब्द में पीड़ा थी
किसी शब्द में आस।
देखे जो सारे शब्द तो
हुआ मुझे कविता होने का विश्वास।
रचना होती एक नदी
जिस पर तैरे शब्दों के नाव
आँखों में भर देते शब्द
कैसे कैसे भाव।
कभी डालते हृदय में
सुंदर कोई प्रभाव।
हर कविता होती एक हृदय
होती है हर कवि की जान।
लिखने वाला हरदम रखता
शब्द शब्द का मान।
— अमृता राजेन्द्र प्रसाद

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़