इतिहासलेख

ओम पुरी : मजदूर से ‘सर’ की उपाधिधारक अभिनेता का सफ़र

जो लोग अपने चेहरे के कारण अपने आप को शर्मिंदा महसूस करते हैं, उन्हें ‘ओम पुरी’ सरीखे चेहरे से सबक लेनी चाहिए । उनके बारे में उनके अजीज दोस्त नसीरुद्दीन शाह ने कहा था–‘ओम मुँह में काठ का चम्मच लेकर पैदा हुआ ।’ बकौल, शबाना आज़मी– ‘वॉलीवुड में ऐसे चेहरे-मोहरे का होना भी यह दर्शाता है, यहाँ सबकी पूछ है।’

इंडिया टुडे (हिंदी) के 25 जनवरी 2017 के अंक में नेशनल अवार्डी, पद्म अवार्डी और ग्रेट ब्रिटेन के ‘नाइट’ उपाधि से विभूषित अभिनेता ओम पुरी की स्मृति-आलेख प्रकाशित है। एक मज़दूर नायक से अंतरराष्ट्रीय नायक तक का सफ़र उसी भाँति है, जैसी उनकी असली ज़िन्दगी भी रही है । ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ उनकी एक अद्भुत फिल्म है, एक रिक्शेवाला का किरदार ओम के अलावा कोई निभा सकते थे, अगर तो वो राजपाल यादव हो सकते हैं ! इस फ़िल्म का शूटिंग पर लोग इन्हें असली ‘रिक्शावाला’ ही समझ बैठे थे ! हम समझ सकते हैं, वे किस हद तक ‘सच्चाई’ में खोकर एक्टिंग करते थे । दूसरी पत्नी और उनकी बॉयोग्राफ़ी की लेखिका नंदिता सी. पुरी से अंतिम कुछ सालों से उनके सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे थे । इस असाधारण प्रतिभा का जीवन तो साधारण था, किन्तु उबड़-खाबड़ ! पहले भी आप मायावी दुनिया में थे, आज भी किसी ‘तिलस्मी दुनिया’ के लिए हमें छोड़ चले गए।

विकिपीडिया के अनुसार, ओम पुरी ने 1991 में अभिनेता अन्नू कपूर की बहन निदेशक व लेखक सीमा कपूर से शादी की, लेकिन उनकी शादी आठ महीने बाद खत्म हो गई। वर्ष 1993 में उन्होंने पत्रकार नंदिता पुरी से विवाह किया और ईशान नामक पुत्र भी है। सन 2009 में नंदिता ने अपने पति के जीवन पर एक जीवनी लिखी । पुस्तक के प्रकाशन पर ओम पुरी ने अपने पिछले रिश्तों के स्पष्ट विवरण को शामिल करने पर गुस्सा जाहिर किये और यही बॉयोग्राफी दोनों का अलगाव के कारण बने।

वेबदुनिया के अनुसार, 18 अक्टूबर 1950 को पटियाला में जन्मे ओमपुरी का पूरा नाम ओम राजेश पुरी था। पंजाबी परिवार में जन्मे ओमपुरी के पिता भारतीय रेल सेवा में ग्रुप डी जैसे कार्य में थे। ओमपुरी ने फिल्म इंडस्ट्री में लगभग 40 वर्ष काम किया ! मराठी फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ (1976) से उन्होंने अपना करियर शुरू किया था और ‘आक्रोश’ पहली हिट फिल्म थी। ओमपुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्युट ऑफ इंडिया से स्नातक थे। जब नसीरुद्दीन शाह के साथ ओम पुरी ने इस इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया, तो फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने उन्हें देख मुंह बनाते हुए कहा था कि कैसे-कैसे लोग हीरो बनने चले आते हैं ? ओमपुरी और नसीरूद्दीन शाह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में बैचमेट थे। दोनों की दोस्ती 40 साल से अधिक समय तक रही। नसीर ने कई बार ओमपुरी की आर्थिक रूप से मदद की। ओम का कहना था कि यदि नसीर मदद नहीं करते तो वे यहां तक कभी नहीं पहुंच पाते।
ओम पुरी फ़िलहाल ‘रामभजन ज़िंदाबाद’ नामक फ़िल्म में काम कर रहे थे जिसके निर्देशक ख़ालिद किदवई गुरुवार शाम को ओम पुरी के साथ थे।

श्री किदवई नामक व्यक्ति ने मुंबई में बीबीसी संवाददाता सुशांत मोहन को ओम पुरी के साथ उनकी मृत्यु के पहले बिताई शाम का ब्यौरा दिया- “मैं कल शाम को साढ़े 5 बजे ओम पुरी के घर गया था । वहाँ उनका एक इंटरव्यू चल रहा था। इंटरव्यू ख़त्म होने के बाद ओम पुरी ने मुझसे कहा कि एक समारोह है क्या हमारे साथ चलोगे। मुझे कहा कि मुझे निमंत्रण नहीं है ! मैं कैसे जाऊँ ? फिर ओमपुरी ने कहा कि अच्छा ठीक है, मुझे वहाँ तक छोड़ दो। फिर हम कार से मनोज पाहवा के घर पहुँचे । वहाँ ओम पुरी जी का किसी से कुछ हॉट डिस्कशन हुआ ।उसके बाद ओम पुरी जी ने कहा कि चलो यहाँ से चलते हैं । हम यहाँ से दस-साढ़े दस के करीब वहाँ से चल दिए, फिर ओम पुरी ने कहा कि चलो मैं अपने बेटे ईशांत से मिल लेता हूँ। सोसाइटी के बाहर पहुँचने पर उन्होंने ईशांत को फ़ोन किया। ईशांत तब तक पार्टी में ही था. ईशांत ने कहा कि पार्टी में ही आ जाओ, तब ओम पुरी ने कहा कि नहीं मैं पार्टी में नहीं आऊँगा। ओम पुरी ने एक ड्रिंक ली और कहा कि अगर ड्रिंक खत्म होने तक बेटा नहीं आया तो चल देंगे। फिर हम कुछ देर बाद वहाँ से चल दिए। बेटे को लेकर काफ़ी भावुक थे ओम पुरी । कह रहे थे- सब कुछ मैं देता हूँ पैसा, फ्लैट, नौकर, पर बेटे से मिलने नहीं देते ! फिर हम ओम पुरी जी घर पर चल गए. रात के साढ़े 11 बज गए थे. चलते वक्त मुझसे गले मिले, बोले- बेटा मुझे तुम पर गर्व है । मैं तुम्हारे साथ हूँ । फिर मैं नीचे आ गया और कार से घर चला आया । जब मैंने कार पार्क की तो देखा कि सीट के नीचे ओम पुरी जी का पर्स था । उनका पर्स गिर गया था। मैंने सोचा कि अब रात 12 बजे में क्या फ़ोन करना, सुबह फ़ोन कर उन्हें पर्स गिरने की जानकारी दूँगा । फिर मैंने सुबह साढ़े छह बजे ओम पुरी जी को फोन किया, कोई जवाब नहीं मिला तो मैंने उनके ड्राइवर को फोन किया और कहा कि ओम पुरी जी का पर्स ले जाना ! आठ बजे करीब उनके ड्राइवर का फोन आया और ओम पुरी के निधन की सूचना दी।”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.