गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

तुम सदा हो प्रिये और मैं हूँ नमन ।
मानकर भी हमारा न होगा मिलन।

पल दिखा  मौज मस्ती  फिर सूनापन
जो मिला भी हमें हो हँस में यूँ चलन .

आज़ दुनिया दिखी साथ में हो सजन

सोचते जो खला बात में ये चलन .

हम डरी चाहतों का न होगा शगुन .

पल रहा बहम सा आग झेलता चमन.

खल रहा है आदतों बन बड़ा सा चुभन

हैं भला किस बनी सोच में ही वतन.

जान लो मोल भी तुम  रहो कल यहाँ

खोजते से करो  तुम शत्रु का दमन.

बन बसेरा हुआ जा रहा हर घड़ी,

दिख रहा है सुना दीप सा आज मन.

— रेखा मोहन ९/५/२०

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]