लिली का मैं फूल हूं,
कीप के जैसा दिखता हूं,
अपनी सुगंध, सुंदरता के चर्चे,
मैं नित सुनता रहता हूं.
बलुई दोमट मिट्टी में मुझको,
पूरा पोषण मिल पाता,
लाल-गुलाबी और श्वेत रंग में,
अक्सर मैं हूं पाया जाता.
लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
57, बैंक अपार्टमेंट्स,
प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4
द्वारका, नई दिल्ली
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One thought on “लिली के फूल”
13 मई को अंतर्राष्ट्रीय ट्यूलिप (लिली) दिवस मनाया जाता है.
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