आभार
आभार प्रकट करते हैं हम
उस महामानव को
जिसने हमारे
प्रज्ञा चक्षु खोले
कपिलवस्तु के राजा
शुद्धोधन का वह पुत्र
सर्वसंग परित्यागी
गौतम नामधारी
महाकारूणिक था, जिसने
जीने का सही ढ़ंग
मानव समाज को सिखाया ।
हम चलेंगे उस रास्ते पर
मनुष्य केंद्रित है वह मार्ग
मानवता का राज्य है
समता – ममता, भाईचारे का
भव्य सत्ता का बोध है
सीमित इच्छाओं में
सुख – चैन लेते
सब प्राणियों के साथ
समभाव रखते
अपने आप में
एक यात्रा है
सच्चाई की ओर ।
हम मानेंगे उस धार को
बूटी है, भूति है यह
विभूति है मानवाली को
मनुष्य होकर जीने का
एकता के सूत्र में
वैज्ञानिकता के पथ पर
आगे बढ़ने का ।