कविता

हे ईश्वर !

हे ईश्वर !
मैं कुछ खास नहीं
फिर भी
गुफ्तगू करता हूं तुमसे
दुनिया का हाल छोड़कर।

लोग पूछते हैं मुझसे
क्यों गुमसुम से रहते हो ?
क्या कोई दर्द मिला है ?
किसी अनजान शख्स से ?

अब क्या कहूं मैं
और कैसे कहूं
तेरी प्रेम अनुभूति
किसी से बोलने ही नहीं देती।

लोग पूछते हैं
क्यों तुम अजनबीयों की तरह
इधर-उधर घूमतें हो
अपनी फकीरी लिए।

मगर मैं कैसे कहूं
तुम्हारे सिवा मुझे
अब कोई
अपना लगता ही नहीं।

— राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233