कविता

कैसे लिख दूं अकबर महान

होकर जाग्रत है पूँछ रहा मेरे भारत का स्वाभिमान ।
बतला दे ये अम्बर अंनत, कैसे लिख दूँ अकबर महान ?
बिस्मरण अरे कैसे कर दूँ राणा की अमर कहानी को ।
हल्दीघाटी के पानी को झाला चेतक बलिदानी को ।
उन तूफानी योद्धाओँ को जो महाकाल से रुके नहीँ ,
जिनके गर्बीले मस्तक रण मेँ  कटे सदा पर झुके नहीँ ।
कैसे झुठला सकता हूँ मै पावन जौहर की ज्वाला को ।
आन -बान पर न्योछावर उस शक्ति सिँह की बाला को ।
 दानबीर भामा का यश जग मे दिनकर – सा दमक रहा ।
जयमल , फत्ता का रण कौशल मेरी आँखो मेँ चमक रहा ।
कैसे जाँऊ मै भूल भला, चेतक की चरण निशानी को ।
 शासिका गोँण्डवाना उस – रानी दुर्गा मरदानी को ।
कैसे सह सकता हूँ बोलो उन अपमानोँ के ज्वारोँ को ।
माँ -बहन,बेटियोँ से सजते कामुक मीना बाजारोँ को ।
जब तक है शेष बची  धरती जब तक सिर पर आसमान
जब तक यह भारत भास्वर है  जब तक है किँच्ञत स्वाभिमान ।
हल्दीघाटी की ललकारेँ करती रहती हैँ सावधान ,
राणा प्रताप के भारत मेँ कैसे लिख दूँ अकबर महान
— सुरेन्द्र मिश्र ‘सूर्य’

सुरेन्द्र मिश्र सूर्य

शिक्षा... एम. ए. एल एल. बी. सम्प्रति.... अधिवक्ता हाईकोर्ट प्रयागराज लखनऊ बेंच स्वतंत्र भारत , राष्ट्र धर्म व अन्य पत्र पत्रिकाओं में बिभिन्न विषयों पर लेख प्रकाशित पूर्व संपादक . अवध प्रहरी पाक्षिक 543 आवास विकास कालोनी गोंडा उत्तर प्रदेश मो. 9450555882