यूरोप जैसी ऑटोचालित आरामदायक सायिकिलें अपने देश में क्यों नहीं ?
अपने यूरोप प्रवास के दौरान जर्मनी,आस्ट्रिया और चेकगणराज्य जैसे दुनिया के सबसे समृद्धिशाली देशों के कई शहरों यथा बर्लिन ,बैंबर्ग, फ्रैंकफर्ट, साल्जबर्ग और प्राग जैसे शहरों में हमने देखा कि वहाँ बैट्री चालित अत्यंत कम ऊँचाई की आसान सी ऑटोचालित आरामदायक सायिकिल पर चढ़कर वहाँ के लोग वहां के बड़े-बड़े शहरों में बेहिचक, बगैर किसी हीनभावना के दूर-दूर तक (दस-बीस किलोमीटर तक भी) अपने ऑफिस,बाजार,मित्र,परिजन, रिश्तेदार या कहीं भी आराम से चले जाते हैं,इस प्रकार की ऑटोचालित आरामदायक सायिकिलें वहाँ के शहरों में कहीं भी सड़कों के किनारे पर रखी रहतीं हैं, इन ऑटोचालित सायिकिलों को कब और कौन रिचार्ज करता है ? हमें नहीं मालूम,परन्तु उसका भी कोई समुचित समाधान वहां होता होगा। सबसे बड़ी चीज यह है कि बहुत ही कम खर्च में आप इनसे अपना काम करके थोड़ा बहुत सामान भी लेकर आराम से अपने घर लौटकर आ सकते हैं,कोई वायु प्रदूषण नहीं,कोई ध्वनि प्रदूषण नहीं,कोई शोरगुल व झंझट नहीं, सब-कुछ बिल्कुल शांतिपूर्ण व पूर्ण मानसिक शांति के साथ।
क्या हम इस तरह की व्यवस्था अपने देश में लागू नहीं सकते ? अगर हाँ तो कब ? और नहीं तो क्यों नहीं ? ऐसी व्यवस्था अगर लागू की जाय तो भारत के अत्यधिक प्रदूषित शहरों के प्रदूषण कम करने में ये ऑटोचालित आरामदायक सायिकिलें ‘वरदान ‘ से कम नहीं हैं। इस तरह की बैटरी चालित ऑटोचालित सायिकिलें हमारे देश के कुशल इंजिनियरों और वैज्ञानिकों के लिए बनाना कोई भी मुश्किल की बात नहीं है ! इस देश के स्वयंसेवी संस्थाओं और संगठनों तथा प्रबुद्धजनों को इस बात को गंभीरतापूर्वक सोचना चाहिए और तद्नुसार कदम उठाने के लिए सरकार के कर्णधारों से अनुरोध करना चाहिए। इससे इस देश में भयंकर प्रदूषणजनित रोगों पर खर्च होने वाले ईलाज में खर्च होने वाला अरबों-खरबों रूपये की बचत तो होगी ही,हम सभी देशवासी भी पूर्ण स्वस्थ्य रहेंगे ।
— निर्मल कुमार शर्मा