डॉक्टर
छोटा-सा आला दिलवादे,
कोट श्वेत भी मां सिलवादे,
डॉक्टर बनना है मां मुझको,
कैसे बनूं जुगत बतलादे.
डॉक्टर बनकर मैं लोगों की,
सेवा तन-मन से कर पाऊं,
ऐसी आशीष देना हे मां,
मानवता की मिसाल बन जाऊं.
(विश्व पारिवारिक डॉक्टर दिवस 19 मई पर विशेष)
— लीला तिवानी
कविता अच्छी लगी। स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण जी अंग्रेजी चिकित्सा के डाक्टर नहंी हैं परन्तु अनेक डाक्टरों से अधिक काम कर रहे हैं। हम भी डाक्टर बन सकते हैं। सफेद कोट और बिना आले के भी डाक्टर बना जा सकता है। हमारे प्राचीन चिकित्सक वैद्य कहलाते थे और असाध्य लोगों का भी सटीक उपचार करते थे। आजकल की चिकित्सा तो रोगों को दबाती है। ठीक नहीं करती। सारी जिन्दमी डाक्टरों का दास बन कर रहना पड़ता है। सादर नमस्ते एवं धन्यवाद जी।
कविता अच्छी लगी। स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण जी अंग्रेजी चिकित्सा के डाक्टर नहंी हैं परन्तु अनेक डाक्टरों से अधिक काम कर रहे हैं। हम भी डाक्टर बन सकते हैं। सफेद कोट और बिना आले के भी डाक्टर बना जा सकता है। हमारे प्राचीन चिकित्सक वैद्य कहलाते थे और असाध्य लोगों का भी सटीक उपचार करते थे। आजकल की चिकित्सा तो रोगों को दबाती है। ठीक नहीं करती। सारी जिन्दमी डाक्टरों का दास बन कर रहना पड़ता है।
प्रिय मनमोहन भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. आपके सुझाव से हम सहमत हैं. बाकी शिशुगीत 4-5 साल के बच्चों के लिए होता है. उस समय बच्चों के जेहन में डॉक्टर की यही छवि होती है. एक बार पुनः रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन.