एग्जिट पोल : सब्ज़बाग़ या राजनीति का फँसाना !
पहले प्रत्येक चरण के चुनाव के तुरंत बाद एग्जिट पोल होती थी, इससे मतदातागण जो कि अभी वोट नहीं डाले हैं, वे दोनों कयासों से प्रभावित होते थे यानी जो पक्ष जीत रहा है, उनके पक्ष में वोट डालना अथवा जो पिछड़ रहे हैं, उसके प्रति हमदर्दी जताते हुए उसके तरफ भारी मत प्रदान करना । राजनीतिक दलों के विरोध के कारण भारत निर्वाचन आयोग ने एग्जिट पोल को अंतिम चरण का चुनाव सम्पन्न होने के बाद ही प्रसारित और प्रकाशित होने को ‘आदर्श चुनाव संहिता’ के अंतर्गत माना है।
17वीं लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जो एग्जिट पोल में खुलासा हुआ, उनमें लगभग अनुमानों में एक ही पार्टी व इसके समर्थित गठबंधन को बहुमत प्राप्त करते अथवा बहुमत के समीप बताया गया है । चुनाव परिणाम तो 23 मई को आएंगे, किन्तु एग्जिट पोल पर राजनीति होना था और यह शुरू हो चुकी है।
वैसे यह सिर्फ़ अनुमान है, क्योंकि हाल के विधानसभा चुनाव-परिणामों सहित बिहार विधानसभा चुनाव-परिणाम, दिल्ली विधानसभा चुनाव-परिणाम और खासकर 2004 के लोकसभा चुनाव परिणामों से ऐसे एग्जिट पोल की भविष्यवाणी फेल हुई है। तब ‘भारत उदय’ व ‘इंडिया शाइनिंग’ की वस्तुस्थिति चरमोत्कर्ष पर था । यह सिर्फ गणित की ‘प्रोबेबलिटी थ्योरी’ पर आधारित है । यह मुट्ठी भर लोगों व मतदाताओं के आँकड़े पर आधारित होते हैं, तथापि कई बार इसके परिणाम सटीक भी प्राप्त हुए हैं! इसपर भरोसा जताना या न जताना….. आपके द्वारा लॉटरी का टिकट खरीदने जैसा है?