ग़ज़ल
स्वतंत्र देश ने’ पुख्ता विधान पाया है
नवीन देश ने’ इक संविधान पाया है |
कठीन काम था’ इस संविधान को लिखना
तमाम दोस्त यहाँ वुद्धिमान पाया है |
गुलाम देश था’ अंग्रेज की गुलामी की
भविष्य इसका अभी शानदार पाया है |
उमंगी देश तो’ उत्कर्ष पर पहुंचा है
उड़ान के लिए’ इक आसमान पाया है |
सभी विभिन्नता’ के बावजूद हम हैं एक
तमाम आम का’ भी योगदान पाया है |
किया परास्त सभी शत्रु को चिर कर
ये भारतीय सुदृढ़ स्वाभिमान पाया है |
पड़ोस से यहाँ जो आये’ उनका’ स्वागत है
ये मेहमान भी’ इक मेज़बान पाया है |
कुछेक हैं धरा’ में खानदान पर गर्वित
नहीं हरेक बशर खानदान पाया है |
तमाम मुफलिसों’ को एक घर का’ था वादा
हरेक दीन दुखी क्या मकान पाया है ?
बगैर दोष किसी को सज़ा नहीं मिलती
अ-क्षम्य दोष है, पर प्राण दान पाया है |
कालीपद ‘प्रसाद’