पलायन
इतना यदि पंछी भी बंद रहता है
तो उड़ने का हुनर भूल सकता है
ये सोच रही हूँ खाली घर में अकेले
आज़ादी का नशा तो मस्त नशा होता है
बंद मत करो दूर रहते जी लेंगे
चेहरे पर मास्क हाथ भी नहीं छुएंगे
पढ़ लेंगे एकदूसरे की आँखों की परिभाषा
बच्चों के स्कूल कॉलेज खेलों मित्रों से जुदाई
जवानों की छूटी नौकरी मजदूरों की दुहाई
ये बढ़ती महामारी में छूत सी बेरोजगारी
बढ़ते तनाव में परिवारों की भागेदारी
तोड़ के पिंजरे ये लोगों का पलायन
मैं घर में नहीं हूँ अपने बस में नहीं हूँ
बच्चों की दबी शरारतों युवाओं की चाहतों
जवानों की उमंगों और किसानों मज़दूरो की आशाओं के संग चल रही हूँ —
चलो सड़क पर पटरी पर तपती धरती पर
तुम्हारे पाँव के और अपने मन के छालों का
नया इतिहास रच रही हूँ
— इन्द्रा रानी