कविता

विकास ही नज़र आयेगा

फिर भी देश वासियों  ,
 किसे क्या ….नजर आएगा।
 विकास  ही नज़र आयेगा |
आज़ादी  के  मूल्यों का ,
देश क्या -क्या  मूल्य  चुकायेगा |
अब तक देश ही जानता है |
राजनीतिक दलों द्वारा,
कितना घसीटा  जायेंगा |
फिर भी देश वासियों,
विकास ही नज़र आयेंगा |
सभ्यता की आड़ में  ,
विदेशी रंग  चमचमायेंगा |
अपना देश गंदा,
विदेश साफ ही नज़र आयेंगा |
मेरा भारत  झाड़ू  पकड़ के,
स्वच्छता अभियान  चलायेंगा |
फिर भी देश वासियों,
विकास ही कहलायेंगा |
शिक्षा  जो आधार है,
एक  देश के  विकास का |
मानवता के बौद्धिक उत्थान का |
आरक्षण से कौशल का ,
नाश कर जायेंगा |
योग्य  रह जाएंगा पीछे,
सरकारी पदों पे,
आरक्षण का कोढ़ चढ़ आयेंगा |
फिर भी देश वासियों,
अपने फायदों के लिए
विकास ही नज़र आयेंगा |
कानूनों को अनुछेदों  में रखकर |
रिश्वत का  कानून बन जायेंगा |
जुर्म, अत्याचार, बलात्कार का,
ग्राफ चाहे, कितना भी बढ़ता ही जायेंगा |
 फिर भी देश वासियों ,
विकास ही नज़र आयेंगा |
नैतिकता के मानों पर,
सकींर्णता के पैमाना लग जायेंगा |
वेदों की  जगह ,
मैजिक बाबा आ जायेंगा |
मन की  शांति  का  तो  पता  नही |
पर शांति  संग पकड़ा जायेंगा |
 फिर भी देश वासियों,
 विकास ही नज़र आयेंगा |
झूठ  के  पीछे भीड़  होगी |
सच अकेला  रह जाएगा |
जीवन की  इस दौड़ में,
आदमी  मशीन  बनकर रह  जायेंगा |
कोई समझेगा उसे ,
यह सोच सपना  बनकर रह  जायेंगा |
फिर भी देश वासियों,
भाषणों में
विकास ही नज़र आयेंगा |
सरकार की नीतियों के फेर-बदल में,
आम आदमी पिस कर  रह  जायेंगा |
मेरे जैसा कोई भुलक्कड़ ,
जमा किया, एक हज़ार,
रख कर भूल जायेंगा |
दूसरी तरफ रुपैया बदल जाएगा।
फिर मिलने पर उन  ,
कागज़ के टुकड़ों  से  क्या  पायेंगा |
काला धन मिला  या नहीं |
किसी गरीब  का एक सिक्का  भी जायेंगा |
फिर भी देश वासियों,
विकास ही नज़र आयेंगा |
जो  समाज में चाहते है ,
बदलाव आयें  |
वो चर्चाये ,विवादों  तक ही  रह जायेंगा |
जिनकी कोई नहीं  सुनता |
वो  विचारवान फेसबुक पर  नज़र  आयेंगा |
गूग्गल जिस विकास को ढूँढ रहा है |
वही विकास,
विकास  को खोजता नज़र आयेंगा |
कुछ इस तरह से विकास,
विकास कर  पायेंगा |
एक दिन विकास जरूर जीत जायेंगा |
स्वरचित रचना
— प्रीति  शर्मा “असीम” 

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]