भाषा-साहित्यलेख

कामताप्रसाद गुरुआई हिंदी से बाहर आइये !

उपन्यास ‘मैला आँचल’ की हिंदी ‘पंडित कामता प्रसाद गुरु’ की हिंदी नहीं है, किन्तु एक सर्वेक्षण में यह हर समय का सर्वोत्कृष्ट रचना मानी गयी है । चूंकि हमारी हिंदी जनभाषा से भी जुड़ी है, इसलिए इस भाषा के साहित्य में प्रत्येक साहित्यकारों की जन्मभूमि-कर्मभूमि से जुड़ी स्थानीय भाषा देखने को मिल जाएगी! हिंदी के प्रवचनकारों में 2 प्रतिशत ही लोग ऐसे मिलेंगे, जो हिंदी लेखन में शुद्धता की बात करते हैं, किन्तु वे 2% भी बोलने व कहने में हिंदी की शुद्धता नहीं रखते!

हिंदी के प्रचार-प्रसार में ‘चंद्रकांता’ उपन्यास सहित वेद प्रकाश शर्मा, सुरेंद्र मोहन पाठक आदि के उपन्यासों ने भी श्रमसाध्य सेवा की है और अब भी कर रही है, तो वहीं ‘मैला आँचल’ और ‘मधुशाला’ को अहिन्दीभाषियों ने पढ़ा भी है ! हर पुष्पों की सुरभि हमें चाहिए, केवल प्रेमचन्द ही क्यों ? हिंदी भाषा में संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू इत्यादि के शब्द हैं, जो चाहकर भी हिंदी से विलग नहीं हो सकते!

डॉ. नामवर सिंह जैसे ओझाओं ने हिंदी को इस भांति से क्लिष्ट बना दिये हैं कि अब हिंदी में रामचंद्र शुक्लाई – साहित्यकार बनने से रहे, ऐसा अब बन भी नहीं रहे हैं ! अखबारी हिंदी कितनी सरल और शिष्ट है । हिंदी को लिंग, वचनों ने तो और भी बेड़ागर्क कर रखी है । हिंदी केे अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार के लिए उनके लेखन में द्विलिंगी-व्यवहार आवश्यक है।

डॉ. देवेंद्र कुमार देवेश के प्रसंगश: प्रो. मैनेजर पांडेय ने स्पष्ट कहा है, “खड़ी बोली हिंदी को स्थापित करने में बिहार के अयोध्या प्रसाद खत्री का जो योगदान है, वह किसी शुक्ल, दास या दासानुदास का नहीं।”

इसके साथ ही मैं तो यह जानता हूँ, हिंदी के प्रसार में जितने बनियों और शूद्रों ने अवदान दिए हैं, सवर्णों ने कतई नहीं! सवर्णों ने तो हिंदी को गुरुआई ‘व्याकरण’ से बाँधे रखा, जिसतरह ‘खड़ी बोली’  का आना ‘संस्कृत’ से मुक्ति थी, उसी भाँति इसे (खड़ी बोली को)  सवर्णी-हिंदी से मुक्ति चाहिए!

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.