संक्रमित विचारों से बचाव हेतु करें, मन का लॉक डाउन
संक्रमित विचारों से बचाव हेतु करें, मन का लॉक डाउन
कोरोना वायरस कोविड -19 ,महामारी के कारण आज विश्व के भारत सहित कई देश लॉक डाउन में हैं। इस लॉक डाउन से ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो किसी न किसी रूप में प्रभावित नहीं हुआ हो। जन-हानि और धन-हानि ये वो हानियाँ हैं जिनसे जीवन चक्र ठहरता तो नहीं , लेकिन लड़खड़ा अवश्य जाता है।
दो माह से भारत के लोग घरों में टीवी, मोबाइल, व्यंजन की परिक्रमा कर रहे हैं। जीवन की गाड़ी सदा एक रफ्तार से नहीं चलती। कभी-कभी ऐसी स्थिति आजाती है कि गाड़ी खराब हो जाती है, तब हमें उसके ठीक होने के इंतजार में ठहरना पड़ता है। बहुत से समझदार लोगों ने इन कठिन दिनों में समय का सदुपयोग किया। पुस्तकें पढ़ना, कविता -कहानी लिखना , पेंटिंग करना, सङ्गीत सीखना, नये नये लज़ीज व्यंजन बनाना सीखा होगा। हमारे दिमाग़ में नये-नये आइडिया आये होंगे , कुछ न कुछ करने के। कुछ लोगों के दिमाग़ में फालतू के विचार भी आये होंगे। यह अनावश्यक विचार संक्रमित विचार हैं, जो किसी न किसी संक्रमित विचारों वाले इंसान के सम्पर्क में रहकर आये होंगे। इन्हें सेनेटाइज करने की जरूरत है।
एक रहस्य जो भारत की शाश्वत परम्परा का हिस्सा है औऱ प्रतिपल नूतन है, नव्य है, अर्वाचीन है। जिसकी अदृश्य गहराई में छुपे हैं, मूल्यवान ज्ञान के मोती, अनगिनत नये विचार, नये रहस्य। जिनसे इंसान भीड़ से हटकर अपनी अलग पहचान बनाता है। उसके काम करने का अंदाज़ अलग और बेहतर होता है। इसे भारतीय योग शास्त्र में ध्यान (मेडिटेशन)कहते हैं। महर्षि पतंजलि ने अपने आष्टांग योग में यम ,नियम ,आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान औऱ समाधि आठ अंगों का वर्णन किया है। ध्यान, योग का वह अंग है जो पूर्णतः सरल , सहज है। लेकिन इससे पूर्व के अंग थोड़े कठिन हैं औऱ आज के दौर में इंसान ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता जो जटिल औऱ कठिन हो। पर ध्यान आवश्यक है, ध्यान के लिए संक्रमित विचारों को ठीक करने के लिए इंद्रियों का क्वारेंटाइन करना आवश्यक है। आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा इन पर नियंत्रण करें। इंद्रियों का राजा मन है ,मन पर अधिकार करने के लिए ध्यान में उतरना होगा।
ध्यान करने से पूर्व हमें मन का लॉक डाउन करना है, यह कैसे होगा? यह प्रश्न है। यह लेख मूलतः युवा पीढ़ी के लिए है जिसकी एक सबसे बड़ी समस्या चित्त का एकाग्र न होना है।
जानें, मन को लॉक डाउन करने की विधि।
सर्व प्रथम घर में एक ऐसे स्थान का चयन करलें जो शांत, स्वच्छ और आपके शरीर के तापमान के अनुकूल हो। लॉक डाउन में हम जैसे घर के भीतर रहे, उसी तरह हमें अपने ही भीतर जाना है। बाहर से कोई लेना-देना नहीं। जैसे लॉक डाउन के समय शरारती लोग बार-बार घर से बाहर निकल रहे थे उसी तरह आपका मन भी भागेगा, वह भी भीतर नहीं जाना चाहता। जो लोग बाहर गये उन्हें पुलिस के डंडे पड़े औऱ कुछ को बीमारी लगी। जो भीतर रहे वे स्वस्थ्य रहे। शांत चित्त होकर बैठें, बिल्कुल सहज कोई दबाब नहीं,कोई प्रेशर नहीं । बस एक ही काम करना है अपनी श्वास पर ध्यान देना है, श्वास आरही है, नासिका छिद्रों से होकर श्वास नलिका से फेंफड़ों तक जा रही है । श्वास ठहरी हुई है। श्वास बाहर निकल रही है। आप देखेंगे धीरे-धीरे आप भीतर की यात्रा पर होंगे। शनैः शनै: मन आपके बस में होता जाएगा। संक्रमित विचार स्वस्थ होने लगेंगे। स्वस्थ विचार होते ही आप का सोचने का तरीका सकारत्मक होगा। आपके काम करने का तरीका बेहतर होगा। आपके पास नित नये प्रयोग करने के आइडिया होंगे, नयी कविता, लेखन के नये विषय होंगे। भारत इसी रहस्य के बल पर पुनः विश्व गुरु बन सकता है। तो आओ संक्रमित विचारों को सेनेटाइज करें। भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए प्रयास करें। ध्यान करें, नित्य करें।
डॉ. शशिवल्लभ शर्मा