मेरी 10 स्मार्ट कविताएँ
1.
●बर्थडे गर्ल
दुनिया की सबसे सुंदर महिला
और मेरी विचलित प्रेम की मरीचिका
मेरी प्रेमिका–
“नव धरित्री की कल्पना-
कब साकार होगी?
लो नव अम्बर आ गयी!
स्वागत माह ‘नवम्बर’।”
इस अनन्य सुंदरी को
जन्मदिवस की उल्लसित बधाई !
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2.
●भारत भाग्य-विधाता
एक तरफ हम ‘गीता’ को आदर्श मानते हैं,
कर्म को सबका गूढ़ मानते हैं ,
दूसरी तरफ
‘भाग्य’ शब्द को क्या कहा जाय ?
‘विधाता’
क्योंकि यह
‘अधिनायक’ के सापेक्ष है,
तो इसका मतलब ‘ईश्वर’ नहीं,
अपितु ‘डिक्टेटर’ से है !
‘जन गण मन’ की बात सोचा जाना,
‘विधाता ‘ और ‘अधिनायक’ से
परे की बात है !
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3.
●धार्मिक नाम
मुसलमान,
मुस्लिम,
मुसलमीन,
मोहम्मडन ‘शब्द’
किस इस्लामिक धर्मग्रंथ में है ?
जैसे-
‘हिन्दू’ शब्द भी
हिन्दू धर्मग्रंथ में नहीं है !
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4.
●अभिव्यक्ति
कल्पना साकार,
कल्पना निराकार ।
कुछ इन दोनों में समाहित ।
इन दोनों के बाहर भी ।
यह तो दंश-प्रकृति को
क्रियार्थक बनाना ही तो है ।
कागज पर लिखी या उकेरी गई कविताएँ
भारत विभाजन के दंश को ही
अभिव्यक्त कर रही होती है !
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5.
●अमृता का आशय
अमृता माने अमृता शेरगिल ?
अमृता माने अमृता सिंह ?
अमृता माने अमृता प्रीतम ?
अमृता यानी सबकुछ !
अमृता यानी कुछ भी नहीं !
अमृता बिम्ब है, प्रतीक है;
संज्ञा नहीं, सर्वनाम नहीं;
विशेषण भी नहीं,
संबोधन हो सकता है !
आखिर ‘कारक’ के बाहर
कुछ भी तो नहीं होती !
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6.
●अमृता का जाना
अमृता का जाना ‘कागज’ का ही जाना है,
क्योंकि इसे एक युग का अवसान माना गया,
एक पहेलीनुमा जीवन का अंत माना गया,
परंतु कागज के अनंत पृष्ठ अभी भी खाली है,
वहीं कैनवास भी साफ है इमरोज़ का ।
कैनवास में चित्र उकेरे जाते हैं,
किंतु अब उनपर कविताएँ उतारी जा सकती है!
×××
कविता सिर्फ अमृता की ही उतरेगी–
ऐसा इमरोज ने कह दिया है।
इमरोज यानी इस कहानी के नायक ।
अमृता यानी इस कहानी की नायिका ।
कथाकार के लिए ये दोनों पात्र बिंब है,
पाठकवृन्द के लिए घटित-अघटित मीमांसा !
कागज पर जहाँ कविता लिखी जाती है,
तो चित्र भी उकेरी जा सकती है–
कथाकार ने इसी कारण को
नायिका की महानता से जोड़ा
और उसे
नायक पर प्राथमिकता दी !
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7.
●रोज
रोज-रोज का मतलब गाँधी फ़ीरोज़ !
रोज-रोज का मतलब सरदार इमरोज़ !
रोज-रोज का मतलब वुडरोज !
रोज-रोज का मतलब अपना ‘रोज’ !
रोज यानी हिंदी शब्दकोश में प्रतिदिन !
रोज यानी अंग्रेजी शब्दकोश में गुलाब !
जो भी मानिए,
क्योंकि ‘माना’ ही जाय-
ऐसी कोई न बाध्यता है,
न ही प्रतिबद्धता है !
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8.
●सूर्पनखा
सूर्पनखा का लक्ष्मण पर
मोहित होना,
द्रौपदी का कथन
कि अंधों के अंधे ही होते हैं,
द्यूतक्रीड़ा के जरिये रचित
षड्यंत्र तो सिर्फ
तात्कालिक वजहें बनी सीत,
सत्य की असत्य पर
अंतत: विजय का संदेश।
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9.
●नंगा
हम
अंडरवियर क्यों पहनते हैं ?
इसे नहीं पहनने से
अपने देश में
जितने कपड़े बचेंगे,
उससे अपना देश
कभी नंगा नहीं रहेगा !
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10.
●बकरे का मांस
लोग बकरे का मांस
चटखारे ले इसतरह खाएंगे,
यथा-
गाँड़ की नली का मांस टेस्टी है,
आँड़ का मांस टेस्टी है !
‘अनपच’ थैली का मांस टेस्टी है !
बकरे की जान जाय,
पर उन्हें ‘टेस्टी’ चाहिए !
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