राजनीति

कोरोना के बाद की दुनिया

कोरोना, यह शब्द कुछ माह से मन को झकझोर जाता है, इसने मानव सभ्यता की वर्तमान व भविष्य की योजनाओं को उथल पुथल कर के रख दिया। इस संक्रमण के बाद के जन जीवन पर इसका बहुत प्रभाव रहने वाला है, आने वाले कई वर्षों तक हमें संक्रमण से सावधान रहना होगा, प्रदूषण को रोकना और प्रकृति के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना होगा। विश्व की महाशक्तियों को युद्धक जैविक हथियारों की होड़ को समाप्त करने के विषय में महत्वपूर्ण व कठोर निर्णय लेना होंगे। क्योंकि संदेह यह है कि चीन के वुहान प्रान्त की रासायनिक लैब से फैला यह कोरोना वायरस वैज्ञानिकों द्वारा युद्ध में जैविक हमले के लिए बनाया जा रहा था, इस संदेह को चीन का WHO अधिकारियों को चीन में जांच न करने देना बल देता है। मास्क, सेनेटाइजर, हाथ धोना, दूर रहकर व्यवहार करना ये आम जन जीवन का अंग बन जाएंगे। जनता में धैर्य, मानवता, सज्जनता आदि गुणों का विकास होगा। कोरोना योद्धाओं के प्रति सम्मान हमारी सबसे बड़ी शक्ति बनेगी। इस संक्रमण के बाद हमें अपने मजदूर व दैनिक भोगी वर्ग को साथ लेकर चलना होगा। वैसे कोरोना ने बहुसंख्यक समाज के सेवा भाव को जाग्रत किया है, जिस प्रकार पलायन करते मजदूरों की सेवा हो या आश्रितों को भोजन पैकेट वितरण समाज ने संघ के साथ मिलकर इस भूमिका का जिम्मेदारी से निर्वहन किया है, आगे भी हमें इसी भाव से वंचितों को साथ लेकर आगे बढ़ना है। स्वदेशी व स्थानीय व्यापारी और उद्योग का विकसित हुआ कितना जरूरी है यह भी देश ने जाना है, न बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी न ही ऑनलाइन सेवा देने वाले काम आते है, आपके स्थानीय उद्योग कंपनी व मोहल्ले का किराना व्यापारी ही आपके काम आएगा यह लोगों को समझ आया है, इससे स्थानीय लोगों की आय बढ़ेगी। चीनी समान का बहिष्कार होने से स्थानीय वस्तुओं की खरीदारी बढ़ने से भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। चीन से बढ़ते दुराव का फायदा हमें मिलने वाला है। WHO की कमान भारत के हाथ आना बहुत बड़ी उपलब्धि है। भारत स्वदेशी निर्मित वस्तुओं का बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। आने वाली सदी भारत की होगी, जिसका सारा विश्व साक्षी बनेगा।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश