मेरी 14 झिलमिल कविताएँ
डॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ…..
1.
जाति जो नहीं जाती !
जाति एक कुप्रथा है !
‘मानव धर्म’ ही सच्चा धर्म है !
“नास्तिकता” ही सच है,
क्योंकि जाति जो नहीं जाती !
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2.
चापलूसी
नीमकरेले जी !
पत्रकारिता का मतलब
सिर्फ़ चापलूसी करना ही नहीं है !
आप कार्टून व कार्टूनिस्ट की भूमिका को
नहीं जानते हैं क्या ?
पवन लालूजी की फेस सहित बखिया उधेड़ते रहे हैं,
तो बाल ठाकरे खुद कार्टूनिस्ट थे,
जो कांग्रेस की बखिया उधेड़ते रहे थे !
कार्टून स्वयं में पत्रकारिता है !
उसी भाँति व्यंग्य भी पत्रकारिता है ।
फोटो पर व्यंग्यवाण कर ‘सिंहासन’ जी
पत्रकारिता को सच तक ले गए हैं !
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3.
डीएनए
कितने छात्र हैं,
जो क्लास टीचर का नाम जानते हैं?
प्रश्न तो यह भी है
कि कितने लोग हैं,
जो असली बाप को जानते हैं?
विश्वास
बनाम
डीएनए !
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4.
सलामवलेकुम चचाजान
शिक्षक -चाचा जी
और उर्दू -पर्सियन अदब के शायर
मो. सईदुर रहमान को
उनके शिक्षादान-संबंधी
विशाल अनुभव के लिए शुभकामनाएं
और सादर नमन !
बिहार के सबसे पंचुअल शिक्षक
पीएलएसएनजी हायर सेकेंडरी स्कूल, मनिहारी
के संस्थापक -शिक्षक रहमान चाचा को
मैं तो गुरुकुलीय शिक्षा का
“बहादुरशाह ज़फ़र”
व अंतिम शिक्षक मानता हूँ….
आपकी स्वस्थता
और दीर्घायुजीवन की
सुकामना करता हूँ….
सलामवलेकुम चचाजान…
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5.
दूसरों की बात क्यों ?
मजदूरी में गए हैं या अपना खेत है !
अपने खेत में शर्म क्यों ?
यहाँ नियोजित शिक्षक होने कोई मायने नहीं रखते हैं !
आपने दूरी नहीं बरते हैं,
जो गलत है !
…. क्योंकि यह साँस संबंधी रोग है,
थूक, लार, छींक etc इस महामारी के कारक हैं !
कोरोना का कोई इलाज नहीं है,
लॉकडाउन सिर्फ बचाव है,
उसमें भी सुरक्षित और संयमित जीवन अपनाकर
यानी परिजनों/प्रियजनों से भी दूरी बरतकर !
एक टाइम भोजन अपनाकर !
सिम्पल खाना ग्रहण कर…..
यह भी देखते हुए कि आस-पड़ोस भूखे ना रहे !
कि मुझसे ज्यादा आप नहीं समझेंगे !
आपको तो खेत भी हैं,
मेरे यहाँ तीन शिक्षकों को
जनवरी से वेतन बंद है !
खाना एक समय ही खाते हैं !
चाय-नाश्ता 15 दिनों से बंद है !
मैं दूसरों की बात क्यों करूँ ?
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6.
अशिक्षित शिक्षक
एक शिक्षिका के पति हैं
गुंडे-मवाली,
उस शिक्षिका में भरी है
गाली ही गाली !
यह है हमारी शिक्षा ?
शिक्षादान ?
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7.
स्लिम
नाजुक ख्याल है !
पहले स्लिम….,
अब भैया से पूछिए !
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8.
सही दुर्गा
जब
घर बेटी जन्मती है,
तो माथा पकड़ बैठ जाते हैं,
फिर दुर्गा पूजा में क्यों ?
कुँवारी कन्याएं चाहिए !
प्रतिमा के आगे नतमस्तक
पर
सजीव बेटी से चिढ़ है क्यों ?
सिर्फ मंत्र में ही पढ़ते रहेंगे….
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या कन्या भ्रूण हत्या से बाज आकर
बेटी को पढ़ाकर
एम ए, पीएच डी कराएंगे !
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9.
आह ताज !
आह ताज़ !
वाह ताज़!
मुमताज़ को वहीं छोड़,
जहाँ का ‘शाह’ बन जाओ!
गाँधी जी की 150वीं सालगिरह में
आपने एवरेस्ट फतह कर लिया,
किन्तु गाँधी जी कभी ‘ताज़महल’ देखने नहीं गए,
क्योंकि
उन्हें यह पता चल चुका था
कि यह एक महिला के शव पर बना है,
दूजे — हजारों कारीगरों के हाथ,
इस नायाब चीज को बनाये जाने के बाद
काट लिए गए थे!
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10.
भारतीय दम्पति
एक
भारतीय दम्पति नहीं,
कोई अंग्रेज पर्यटक लग रहे हैं!
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11.
तब हम मानव नहीं !
अगर किसी एक धर्म से जुड़े हैं,
किसी एक जाति से बँधे हैं,
चिह्नित सरनेम ढोते हैं,
तो हम मानव कैसे हो सकते हैं?
तब मानवता रही कहाँ?
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12.
ऑक्सीजन
हवा means
ऑक्सीजन या हवा-हवाई !
मैं तो जाति को कुप्रथा मानता हूँ
और धर्म हो तो
सिर्फ़ एक
मानव धर्म ।
मास्टरी means शिक्षक,
यही तो असली राष्ट्र-निर्माता है,
क्योंकि
इसी के कारखाना व फैक्ट्री से
क्या नेता, क्या IAS सभी आये हैं ?
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13.
चकमाई नेता
जो सही में नेता होते हैं,
वो जेल नहीं जाते हैं,
अपितु चकमा देकर
बाहर ही
टहलते रहते हैं….
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14.
अपील
मैंने अपील कर रखा है,
मेरे facebook पर
जो भी friend हैं
या होंगे !
बालिग होंगे !
अगर किसी को
मेरे विचार नापसंद है,
तो मुझे block कर सकते हैं….
नाबालिग अगर facebook हेंडिल करते हैं,
तो
उनके अभिभावक दोषी हैं/होंगे !
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