छिछोरा चीन और हम
हम आये दिन समाचार पत्रों में अक्सर ये समाचार पढ़ते रहते हैं कि हमारे उत्तरी सीमा पर चीन ने आज अरूणाचल प्रदेश में,तो कभी डोकलाम में,तो कभी लद्दाख में अतिक्रमण कर दिया है,वह हमारी सीमा में घुसपैठ कर लिया या उसके सैनिक हमारी सीमा के काफी अन्दर आकर सड़क बना रहे थे या सैकड़ों की संख्या में टेंट लगा लिए हैं या बंकर बना रहे हैं,फिर हमारे जवानों ने काफी मशक्कत के बाद उन्हें उनकी सीमा में पीछे ढकेला आदि-आदि। इस तरह के समाचार दो-एक महिनें में अक्सर सुनने को मिलता ही रहता है । यह समाचार सुनकर इस देश के स्वाभिमानी देशवासियों के मन में तरह-तरह की हीन भावना भी उत्पन्न होती रहती है कि क्या हम वाकई इतने ‘कमजोर ‘हो गये हैं ?कि सीमा पर कोई भी पड़ोसी जब चाहे आँखें तरेर देता है !
एक बहुत ही पुरानी लोकप्रिय लोकोक्ति है कि ‘अगर आपको शान्ति से रहना है तो युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहना होगा। ‘ प्रश्न ये है कि क्या हम वियतनाम और इजरायल जैसे छोटे देशों से भी कमजोर हैं ?ये दोनों देश पिछले वर्षों में अपने पड़ोसियों को इतनी कड़ी सबक सिखा चुके हैं, कि इनका कोई पड़ोसी अब इन्हें आँख उठाकर देखने की जुर्रत तक भी नहीं करता । यही चीन जो भारत को बार-बार अपमानित करता रहता है, वियतनाम की सीमा की तरफ अब आँख उठा कर भी नहीं देख सकता। बात बहुत पुरानी नहीं है,यह घटना 2 फरवरी 1979 की है,जब चीनी सेना भारतीय सीमा की तरह वियतनामी सीमा में घुस गई थी। बहादुर वियतनामियों ने उस चीनी सेना को अपनी कुशल रणनीति के तहत अपने देश की सीमा में काफी अन्दर तक आने दिया,फिर अचानक चीनी सेना की पीछे से सप्लाई लाइन काट कर वियतनामी सीमा में काफी अन्दर घुस गए चीनी सैनिकों की इतनी बुरी तरह से पिटाई किया,कि उसमें बीस हजार चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इससे चीनियों की अक्ल ठिकाने लग गई,वे दुम दबाकर पीछे भाग लिए, कब्जाई जमीन भी वापस किए और आज तक चीनी कर्णधार और उनकी सेना दोबारा वियतनाम भूमि की तरफ अपनी आँख तक उठाने की जुर्रत नहीं कर पाये ।
हमारी राय है कि अगर चीन भारत की सीमा में अक्सर छेड़छाड़ करता है तो हमें भी उसको वियतनाम की तरह उसे करारा जबाब देना चाहिए,उसकी सीमा में वैसे ही घुसपैठ करना चाहिए,जैसे वह हमारी सीमा में घुसपैठ कराता रहता है। अगर चीन अरूणाचल प्रदेश को नक्शा बनाकर अपनी सीमा में दिखाता है तो हमें भी ऐसा नक्शा बनाना चाहिए, जिसमें उसके एक बड़े भूभाग यथा तिब्बत या कोई भी भारतीय सीमा से लगा अन्य बड़ा भूभाग को सम्मिलित करते हुए भारत का नक्शा बनाने से हमें कौन रोकता है ?ऐसा नक्शा बने और उस पर हम भी अपना दावा करें। हमारे सैनिक भी चीनी क्षेत्र में यदाकदा घुसपैठ करें,टेंट लगाएं,बंकर बनाएं,उसकी जमीन पर भारतीय जमीन होने का दावा करें। इस तरह की कार्यवाहियों से चीनियों की अक्ल अपने-आप ठीक हो जायेगी। एक यथार्थवादी कहावत यह भी है कि ‘सौ सुनार की तो एक लुहार की। ‘
आखिर हम भी विश्व की एक बड़ी सेना के साथ,परमाणु शक्तिसम्पन्न,अन्तर्रमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल से सम्पन्न देश हैं। हम चीन से इतना डरते क्यों हैं ?चीन हमारा क्या बिगाड़ लेगा ? हमारे देश के नेतृत्वकर्ता इतने बुज़दिल क्यों हैं ? चीन को एक कड़ा झटका क्यों नहीं दिया जाता ? बुज़दिल रोज-रोज मरता है और बहादुर एक दिन मरता है ।
— निर्मल कुमार शर्मा