मेरी 16 प्रासंगिक कविताएँ
1.
इंद्राणी मुखर्जी
किसी कुरूप पर कितने मर्दों को मरते देखा है
प्रेम की देहलीला
सुंदर युवती पर ही आ ठहरती है
द्रोपदी सुंदरी थी
राजकुमारी थी
पाँच-पाँच पति पाई थी
फिर भी दुश्शासन ने छेड़ने का साहस किया
ऐसे में इंद्राणी मुखर्जी
फ़ख्त तीन पतियों की रानी
सिर्फ इतिहास को दुहराती,
एक अदाकारा है,
पटाखा नहीं !
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2.
हमारे भगवान
हमें अपने घर और समाज में पैदा होते ही
ब्रेनवाश कर दिए जाते
कदरन पूजा-पाठ और अछूत व्यवहार
हमारा भगवान अलग
उनके भी जो हो
अलग होते बताए जाते !
हमारे भगवान मूरत में, उनके उनकी स्मृति में
आस्तिक-नास्तिक भारतीय के बीच
वास्तविक कोई नहीं !
काले-गोरे में भेद अब भी !
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3.
अनूठा अविश्वास
ये सभी जाति, धर्मवाले आपने-अपने स्वार्थ में जी रहे
पंजाब में क्या गैर सिख मुख्यमंत्री बन सकते हैं
भारत के प्रधानमंत्री मुसलमान कब बनेंगे
कश्मीर, किशनगंज, हैदराबाद में गैर-मुस्लिम सांसद क्यों नहीं
ना ही गैर-यादव एमपी मधेपुरा में
कभी हमने समझने की कोशिश किया
कि यह किसप्रकार के अविश्वास है ?
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4.
जाति निरपेक्ष
जन्म लेते हैं, एक जानवर के रूप में हम
होश सँभालते हैं तो धर्म जानते हैं,
स्कूल आते-आते जाति
जाति जो जाती नहीं है,
धर्म बदल जाते हैं
पर
एक मोची जहाँ के तहाँ है,
वो ब्राह्मण नहीं कहला सकते !
एक कुंजड़ा ‘शेख’ नहीं कहला सकते, न ही पठान कहला सकते !
हाँ, हिन्दू से मुसलमान या ईसाई हो सकते हैं
या जैन, बौद्ध, पारसी से हिन्दू बन सकते हैं
पर जाति बदली नहीं जा सकती !
फिर भी हम
जातिनिरपेक्ष-धर्मनिरपेक्ष की बात करते हैं !
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5.
आम-बबूलवाली दोस्ती
आम के बगीचों को बचाने के लिए
बबूल के पेड़ों को
चारों तरफ लगाए जाते हैं
यानी
आम-बबूल में
शुरू से ही दोस्ती है !
पर लोगों में
ऐसी दोस्ती आम-आमवाली है,
आम-बबूलवाली नहीं है !
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6.
राजनीति खेल
यह चायवाले ही नसीबवाले क्यों हुए ?
सब्जीवाले क्यों नहीं ?
यही तो राजनीति है,
जिसे धृतराष्ट्र भी कहाँ समझ पाए थे ?
राजनीति की घृणास्पद समझ गांधीवध
या श्यामा मुखर्जी की कश्मीर में,
तो लालबहादुर ताशकंद जाकर
पीएचडी, एमबीए, एफआरसीएस
सभी राजनीति में खप जाते यहाँ
यह अद्भुत खेल है,
मां-बेटे और
प्यारी पत्नी से पति अलग हो जाते हैं !
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7.
चायवाले की भावना
21वीं सदी के ये भारतीय
दूसरे भारतीय को उपलब्धियों का मजाक उड़ाते
विजन 2020 तक चाचा कलाम के सपने भी कहाँ पहुँच पाए
हम एंड्रॉइड फोन से दूर
मुंगेरीलाल के हसीन सपने में रह जाएंगे
15 साल हो गए
बिहार से एक क्रिकेटर नहीं टीम इंडिया में
20 राज्यों के कोई व्यक्ति
भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री बन पाएंगे क्या कभी
पर ये चाँदी के चम्मच मुँह में लिए पैदा हुए लोग
चायवाले की भावना क्या जाने ?
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8.
गरीब टीम इंडिया
हमारी आबादी 130 करोड़ से अधिक है
जिनमें 25 लाख भी अरबपति नहीं
जिनमें एक करोड़ भी करोड़पति नहीं
जिनमें 5 करोदभी लखपति नहीं
अगर 30 करोड़ आबादी को कुबेर मान भी ली जाय,
तो शेष 100 करोड़ गरीब
क्या यही टीम इंडिया कहलायेगी ?
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9.
मोबाइल प्लानिंग
चलो एक सेल्फी लेते हैं
फेसबुक पर कुछ पोस्ट करते हैं
अच्छा ट्वीट है आज
पर यह किसने व्हाट्सएप पे गंदा फोटो भेजे हैं
मिलाकर कस्र किसी फेस्टिवल में
एम एम एस पूरा कर देते हैं
दोस्तों, हमसब इसी में व्यस्त हैं,
हमारी दुनिया यही हो गयी है
हम 40 करोड़ युवा किसी न किसी भाँति
मोबाइल प्लान के हिस्से हैं
ऐसे युवाई देशसेवा से दूर,
तो बूढ़े माता-पिता से भी दूर रहते हैं !
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10.
हंगामा
एक अमरूद के पेड़ पर
कटहल उग आए,
तो हंगामा बरप गया !
हम मनुष्यों में
कितने ऐसे हैं,
सिर्फ फुसफुसा कर ही रह जाते हैं !
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11.
ऊपरवाले
ऊपरवाले
कितने ऊपर हैं ?
चंद्रयान
इसरो से दिखाई पड़ जाते हैं,
एलियन या उड़नतश्तरी भी
नासा को दिख पड़ते हैं,
पर
वे अबतक दिखे क्यों नहीं ?
हे ऊपरवाले !
हम कितने नीचेवाले हैं !
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12.
सैड आनंद
सदानंद
नाम के !
हिंदी में सदा आनंद
और
अंग्रेजी में Sad Anand
तो
नाम में क्या रखा है ?
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13.
आम
प्राचीन इतिहास यानी ‘अचार’ !
मध्यकालीन इतिहास यानी ‘अमोट’ !
आधुनिक इतिहास यानी ‘आम’ !
आम आदमी हूँ,
और
आम ने
आम को ही
खाया है !
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14.
मौन
मौन भी
एक भाषा होती है,
जिनके
परिणाम
‘विद्रोह’ होते हैं !
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15.
पंडित नेहरू
निर्गुट के जनक,
पंचवर्षीय योजनाओं के सूत्रधार,
भारतीय-अंग्रेज
‘अंकल नेहरू’
प्रथम प्रधानमंत्री
को
उनकी पुण्यतिथि पर
सादर स्मरण, नमन व विनम्र श्रद्धांजलि….
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16.
नजर उतारना
कहाँ गए वो दिन
जब लोग
नींबू, प्याज, मिर्च को
काला धागे से
पिरोकर
घर के आगे,
गाड़ी के आगे,
दुकान के आगे
नजर उतारने के लिए
टाँगते !
कोरोना
की
नजर से
बच नहीं पाए !
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