कविता

पंच चामर छंद : छटा बिखेर प्रेम की

अतीत में भविष्य में, नहीं प्रवेश चाहिए
सदैव वर्तमान में, अचिंत हो विराजिए।।
विकार राग द्वेष का, न चित्त में रहे कभी।
न लोभ मोह शोक हो, समाप्त व्यग्रता सभी।।
प्रबुद्ध ज्ञान ज्योति की, बहे सु-धार नर्मदा।
सुकर्म धर्म चित्त में, रहे अभीष्ट सर्वदा।।
छटा बिखेर प्रेम की, घिरे न मेघ रोष का।
निशंक तुष्ट भाव हो, कभी न गर्व कोष का।।
— अनंत पुरोहित ‘अनंत’

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 [email protected]