मेरी 10 आह्लादित कविताएँ
डॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ
1.
पुंडरीकाक्ष कौन ?
‘मङ्गलम भगवान विष्णु, मङ्गलम गरुड़ध्वज;
मङ्गलम पुण्डरीकाक्ष:, मंगलाय तनोsहरि:!’
के शब्दार्थ क्या
यह पुण्डरीकाक्ष कौन है?
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2.
नारीवाद
अपने ‘नाम’ के साथ
पिता या पति के नाम व उपनाम
लगानेवाली ‘महिलाएँ’
किस लिहाज़ से ‘नारीवाद’
पर
भाषण दे सकती हैं !
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3.
राखी सावंत !
बहुत सो लिया सिंगल
अब बिस्तर में विस्तार दूँ
कि अपने रनरेट में विस्तार दूँ
पर इस मस्टरवा पर
कोई कुँवारी घास नहीं डालती
राखी सावंत से बात चली थी
पर वे तो ऊँची दुकान, है फीकी पकवान
क्योंकि उसने शर्त्त रखी-
पहले वेतनमान पाओ, मेरे हनुमान !
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4.
सनी लियोन
सोचता हूँ, अब कुछ घटिया लिखूँ
क्योंकि
बढ़िया के लिए
फेसबुक, ट्वीटर, ब्लॉग पड़ी है
यही कारण सुनंदा मरी पड़ी रही
तभी तो कहता हूँ यारो
बड़ा आदमी बन जाओ
किन्तु
हसीनाओं के कबाब खाओ फिर भी
बीवी से लुकछिप इंटरनेट पर
सनी लियोन को खोज डालो फिर भी !
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5.
12000 वाल्ट
कल तक दिल ही धड़कते थे
और आज
सिर्फ बिल
12,000 वाल्ट लिए धड़कते हैं !
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6.
मुर्गा नम्बर वन टू थ्री
स्कूल में जब पढ़ता था
सह-शिक्षा की परंपरा थी
साथ थी छात्राएँ तब
जमीन पे नजर गड़ाएं रहती थी
वो कामायनी की श्रद्धाएँ और लज्जाएँ थी !
आज न लज्जा है, न श्रद्धा !
मोबाइल के कॉलिंग में
मुर्गा नम्बर वन, टू, थ्री लिख रखी हैं !
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7.
सेक्स बुखारे
ऐसे काव्यरस की सर्जना करूँ
बीते सालों के यौन-रसीले
सेक्स-बुखारे भी
कथावाचक,
तहलका संपादक,
और कानून के साहब,
साहित्यकार भी
उन्मत्त हाथी के मानिंद
एकसाथ चिंघाड़ उठे-
मोगेम्बो खुश हुआ !
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8.
चतुर मर्द Vs ललचाई औरत
दोस्तों,
हमें ऐसे चतुर मर्द
और
ललचाई औरतों से बचने होंगे
चाहे अपने परिवार से हो
या विलग
माँ-बहन-बेटी हो या अर्द्धांगिनी !
जिस परिवार में हो सिर्फ स्वहित का भाव,
उनसे ना करो समभाव !
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9.
सच्चा मर्द
क्या जो ढेर बच्चे पैदा करते हैं
उन्नतशील मर्द होते हैं
क्या जिनके एक ही संतान है
वो हाईब्रीड मर्द है
तो क्या जिनकी संतान ही नहीं
वो मर्द ही नहीं है
या जो अविवाहित है, नपुंसक है, निवीर्य है
यह समाज ने परिभाषा गढ़ा है,
किन्तु सच्चा मर्द भय, भूख, करप्शन से लड़ना है
फिर मर्द वही है जो,
आँधियों में दीये जला लेते हैं !
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10.
बर्लिन की दीवार
किसी औरत के सपने
पति और उनके बच्चे तक सीमित !
वो दो भाइयों के बीच
बर्लिन की दीवार बनना नहीं चाहती,
बल्कि लालच और ऐश्वर्य में
चीन की दीवार तरह
सपाट हो जाती !
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